जयपुर : राजस्थान सरकार की ओर से पिछले दिनों विधानसभा में पास किए गए अनिवार्य विवाह पंजीकरण संशोधन अधिनियम-2021 को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। इस मामले में दायर की गई जनहित याचिका में कहा गया है कि 18 साल से कम उम्र की लड़की से यौन संबंध बनाना दुष्कर्म है तो फिर शादी कैसे मान्य हो सकती है।
इस पर हाई कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 22 नवंबर को होगी। वकील प्रकाश ठाकुरिया की ओर से दायर जनहित याचिका पर बुधवार को जस्टिस सबीना और जस्टिस मनोज कुमार व्यास ने सुनवाई करते हुए केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार के बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 का यह उल्लंघन है। इसके साथ ही संविधान के आर्टिकल 14,15 व 21 का भी याचिका में हवाला दिया गया है। याचिका में कहा गया कि इससे लड़की के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा। पंजीकरण से यह माना जाएगा कि सरकार बाल विवाह को बढ़ावा दे रही है। सरकार ने असंवैधानिक विधेयक पारित किया है ।
गौरतलब है कि विधेयक में सामान्य के साथ ही बाल विवाह का भी पंजीकरण अनिवार्य रूप से कराने का प्रविधान किया गया है, जबकि सूबे में बाल विवाह अवैध है। इसी बात को लेकर विरोधी दल भाजपा भी अशोक गहलोत सरकार पर सवाल उठा रही है। उसका भी कहना है कि जब बाल विवाह अवैध है तो फिर उसका पंजीकरण अनिवार्य क्यों किया गया है।