पटना : लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के संस्थापक व पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की बरसी पर अरसे बाद पूरा परिवार एकजुट दिखा।
चिराग पासवान और उनके चाचा व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के लिए बड़ी चुनौती भी थी कि जिस परिवार को रामविलास ताउम्र सींचते-सहेजते रहे और साथ लेकर चलने में सफल रहे, उसे फिर से जोड़ें। रविवार को पूरे परिवार को साथ देखना उनके समर्थकों के लिए बेहद सुकून वाला पल बन गया। इस मौके पर पारस भावुक भी हुए।
रामविलास को याद करते हुए बोले कि वह मेरे बड़े भाई थे, मेरे लिए भगवान भी थे। आज मैं जो कुछ भी हूं, उन्हीं का पुण्य-प्रताप है। चिराग ने मुझे कार्ड देकर बरसी में आने का आमंत्रण दिया, यह मेरे लिए दुखद है। इस कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं भी किया जाता तो भी मैं भाग लेता।
पासवान परिवार के लिए यह दिन बेहद खास था। रामविलास के निधन के बाद जो तल्खियां बढ़ी थीं, वह खत्म होती दिखीं। चाचा-भतीजा और पूरा परिवार एक छत के नीचे आया। एक साथ श्रद्धांजलि दी। घर के अंदर का दृश्य भी पारिवारिक था। चिराग पूजा पर बैठे थे।
उनकी दाई ओर कुर्सी पर पारस। पास ही चिराग की मां रीना पासवान, बड़ी मां राजकुमारी देवी, चाची सुनैना देवी, बहन लवली, उषा व आशा, बहनोई मृणाल पासवान व साधु पासवान, चचेरे भाई यश राज समेत परिवार के कई सदस्य बैठे।
हालांकि कृष्ण राज और प्रिंस राज नहीं दिखे। खास बात यह कि बरसी में पारस के आने का तय समय एक बजे का था, लेकिन वह पूजा शुरू होने के पहले ही पहुंच गए। चिराग ने पैर छूकर उनका स्वागत किया और कुर्सी पर बिठाया। पूजा खत्म होने के बाद पारस घर से निकलकर वीआइपी लाउंज में आकर बैठ गए।