पटना : लालू-राबड़ी परिवार से जगदानंद सिंह का रिश्ता निर्णायक दौर में पहुंच गया है। राजद कार्यालय से वास्ता खत्म किए हुए आठ दिन बीत गए। मनाने-समझाने के सारे प्रयास अभी तक विफल साबित हुए हैं।
लालू के करीबियों में जगदानंद सिंह पहले व्यक्ति नहीं हैं, जिन्हें तेजप्रताप यादव के बयानों से धक्का लगा है। इसके पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह और राजद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे पर भी तेजप्रताप के बयानों की गाज गिर चुकी है। रघुवंश तो इतने व्यथित हुए कि अपने आखिरी क्षणों में अस्पताल से ही लालू का साथ छोड़ने का एलान कर दिया था।
फिर भी तेजप्रताप की जुबान रुकी नहीं, ठहरी नहीं। नतीजतन पुत्र के प्रति मोह से लालू के अपने लगातार बिछुड़ते जा रहे हैं। जगदानंद के अनुशासन का मौके-बेमौके मजाक उड़ाने वाले तेजप्रताप ने चार बार से लगातार राजद के बिहार प्रदेश अध्यक्ष बनते आ रहे रामचंद्र पूर्वे को 2019 में पद से बेदखल कराया था।
उन पर चुगली करने और फोन नहीं उठाने का आरोप लगाया था। तेजप्रताप की सिफारिश पर राजद में एक पदाधिकारी बनाने में देरी का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा था। यह वही पूर्वे हैं, जिन्होंने 1997 में जनता दल से अलग होकर लालू की नई बनी पार्टी का संविधान तैयार किया था। चारा घोटाले में लालू जब जेल गए तो राबड़ी देवी के साथ मंत्री के रूप में सबसे पहले शपथ लेने वाले पूर्वे ही थे।
बाकी मंत्रिमंडल का गठन बाद में हुआ था। पूर्वे अपनी ही बनाई पार्टी से अब अलग-थलग हैं। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा प्रसाद राय के घराने से लालू परिवार का रिश्ता खत्म होने की वजह भी तेजप्रताप ही बने। तेजप्रताप की शादी दरोगा प्रसाद की पौत्री ऐश्वर्या राय के साथ हुई थी। छह महीने के भीतर ही मामला तलाक तक पहुंच गया। अभी अदालत में लंबित है।
2019 के लोकसभा चुनाव में भी तेजप्रताप ने राजद के अधिकृत दो प्रत्याशियों के खिलाफ लालू-राबड़ी मोर्चा बनाकर प्रत्याशी उतार दिए थे। प्रचार भी किया था। जहानाबाद में राजद के प्रत्याशी सुरेंद्र यादव को महज एक हजार वोट से हार का सामना करना पड़ा था। तेजप्रताप ने प्रत्याशी नहीं दिए होते तो उक्त सीट राजद के कब्जे में होती।
लालू की भी नहीं सुन रहे जगदानंद राजद के प्रदेश कार्यालय में 15 अगस्त और 26 जनवरी को प्रदेश अध्यक्ष ही तिरंगा फहराता रहा है, लेकिन इस बार जगदानंद सिंह ने इसकी परवाह भी नहीं की।
15 अगस्त को नहीं आए। किसी को अधिकृत भी नहीं किया। गंभीरता को देखकर लालू प्रसाद ने मामले को अपने हाथ में लिया है। अब वह खुद समझाने में जुटे हैं। सूचना है कि लालू ने उनसे खुद बात की है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है।