हवाई पट्टी गड़बड़ी मामले में कलेक्टर सहित नौ आईएएस अफसर दोषी,केस दर्ज
लोकायुक्त की कार्रवाई: इंदौर हवाई पट् टी गड़बड़ी मामले में इंदौर कलेक्टर सहित नौ आईएएस अफसर दोषी, लोकायुक्त में केस दर्ज

उज्जैन के दताना मताना हवाई पट् टीटी के रख रखाव की राशि और पार्किंग शुल्क नहीं वसूले जाने के मामले में लोकायुक्त पुलिसजैन ने यहां पदस्थ रहे चार और कलेक्टरों को आरोपी बनाया है। इससे पहले हाईकोर्ट के आदेश पर 16 लोग आरोपी बन चुके हैं। जिसमें पांच कलेक्टर और तीन कार्यपालन यंत्री हैं। दोषी आइएएस अफसरों में वर्तमान समय में दो प्रमुख सचिव और एक भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं। अब आरोपियों की संख्या 20 हो गई है। बीते नौ नवंबर को आरोपी बनने वाले चार आईएएस अफसरों में संकेत भोंडवे, मनीष सिंह, शशांक मिश्र और नीरज मंडलोई शामिल हैं। संकेत भोंडवे वर्तमान समय में केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं। वह केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के ओसडी हैं। मनीष सिंह इस समय इंदौर के कलेक्टर हैं। शशांक मिश्र ग्रामीण विकास निगम के सीईओ और नीरज मंडलोई प्रमुख सचिव पीडब्लूडी हैं। प्रमुख सचिव कला संस्कृति शिवशेखर शुक्ल, छत्तीसगढ़ के रायपुर की कलेक्टर एम। गीता, रिटायर्ड आइएएस बीएम शर्मा, अजातशत्रु, और भोपाल संभागायुक्त कविंद्र कियावत को पहले ही आरोपी बनाया जा चुका है।

उज्जैन के तत्कालीन कलेक्टर नीरज मंडलोई

उज्जैन के तत्कालीन कलेक्टर नीरज मंडलोई

ये मामला है

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दरअसल, देवास रोड स्थित दताना मताना हवाई पट् टी को सरकार ने वर्ष 2006 में यश एयर लिमिटेड / सेंटोर एविएशन एकेडमी इंदौर को सात साल के लिए अभिरुचि प्रदर्शन / प्रशिक्षण उड़ान संचालित करने के लिए लीज दी थी। लोकायुक्त पुलिस इसपेपेक्टर बसंत श्रीवास्तव ने बताया कि अनुबंध की शर्तों के मुताबिक यश एयरवेज को 5700 किग्रा वजनी हवाई जहाजों के लिए 100 रुपए और उससे अधिक वजन के जहाजों के लिए रात्रि पार्किंग शुल्क 200 रुपए प्रति रात्रि के हिसाब से प्रशासन को देना था। हवाई पट् टी और परिसर के रखरखाव के लिए पीडब्लूडी विभाग की ओर से खर्च किए गए 2.92 करोड़ रुपये भी एयरवेज कंपनी की ओर से प्रशासन को भुगतान करना था, जो नहीं किया गया था। उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 में हवाई पट् टी पर जहाजों का परिचालन बंद हो गया। अनुबंध की शर्तों के मुताबिक यश एयरवेज को प्रतिवर्ष 1.50 लाख रुपये शुल्क के रूप में संचालक विमानन को बैंक ड्राफ्ट के माध्यम से जमा करना था। परिचालन अवधि के सात साल में कंपनी की ओर से केवल 1.50 लाख रुपए ही जमा किए गए। इस तरह से शासन को नौ लाख रुपए का आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया। इसी मामले में लोकायुक्त पुलिसजैन ने हाईकोर्ट के आदेश पर जांच के बाद एफआईआर दर्ज की।

तत्कालीन कलेक्टर संकेत एस भोंडवे

तत्कालीन कलेक्टर संकेत एस भोंडवे

नौ कलेक्टर और पीडब्लूडी के तीन कार्यपालन यंत्री क्यों बने दोषी

दरअसल, अनुबंध में लिखा है कि हवाई पट् टी की सुरक्षा समीक्षा समय-समय पर कलेक्टर करेंगे। यश एयर लिमिटेड की ओर से वार्षिक शुल्क 1.50 लाख रुपए जमा किया जा रहा है या नहीं, इसकी निगरानी तल्कालीन कलेक्टरों को करनी थी। जो उन्होंने नहीं कहा। इसी तरह से हवाई पट् टीटी की समय-समय पर मेंटनेंस यश एयर लिमिटेड से करवाने की निगरानी तत्कालीन कार्यपालन यंत्रियों को करनी थी। अधिकारियों ने अपने फैसले का निर्वहन नहीं किया। पद का दुरुपयोग करते हुए यश एयर लिमिटेड / सेंटॉर एविएशन एकेडमी इंदौर को षडयंत्र पूर्वक लाभ पहुंचाया गया है।

तत्कालीन कलेक्टर शशांक मिश्र

तत्कालीन कलेक्टर शशांक मिश्र

उनके विरूद्ध सुधार अधिनियम की धारा -7 और आईपीसी की धारा 120 बी के तहत दर्ज हुआ मुकदमा

अजातशत्रु श्रीवास्तव, डॉ। एम। गीता, बीएम शर्मा, कविन्द्र कियावत, संकेत भोंडवे, मनीष सिंह, शशांक मिश्र और नीरज मंडलोई (सभी तत्कालीन कलेक्टर, उज्जैन)।

एसएस सलूजा, एके टुटेजा और जीपी पटेल (ये सभी तत्कालीन कार्यपालन यंत्री, पीडब्लूडीजैन)।

अरुण गुर्टू, यशराज टोंग्या, भरत तोंग्या, शिरीष चुन्नीवाला दलाल, वीरेंद्र कुमार जैन, दुष्यंत लाल कपूर, शिवरमन, दिलीप रावत (सभी यश एयर इंडिया इंदौर / सेंट एविएशन एकदमी इंदौर के संचालक)

 

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