गोरखपुर : कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता हत्याकांड की विभागीय जांच में दोषी ठहराए गए रामगढ़ताल थाना के इंस्पेक्टर समेत अन्य आरोपित पुलिसकर्मी विशेष जांच दल (एसआइटी) की जांच में भी दोषी होने की ओर हैं और दोष में सभी बराबर के भागीदार हैं।
27 सितंबर की रात पुलिस के होटल कृष्णा पैलेस जाने से लेकर बेसुध मनीष को अस्पताल पहुंचाने और उनकी मौत के बाद रात में मामले को दबाने के किए गए प्रयासों की कड़ियां जोड़ने के बाद एसआइटी इसी निष्कर्ष पर पहुंच रही है। माना जा रहा है कि एसआइटी हत्या के आरोपित पुलिस कर्मियों को दोषी मानते हुए सोमवार तक अपनी रिपोर्ट पुलिस महानिदेशक को सौंप सकती है। हालांकि एसआइटी टीम रिपोर्ट सौंपने से पहले आरोपितों को गिरफ्तारी का भी काम पूरा कर लेना चाहती है।
सूत्रों के मुताबिक एसआइटी का मानना है कि घटना के वास्तविक स्वरूप को बदलने के लिए जिस तरह क्राइम सीन, घटनाक्रम, साक्ष्य और दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ की गई, उससे साबित होता है कि होटल में मौजूदगी के दौरान इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह और उनके साथ मौजूद पुलिसकर्मियों की नीयत साफ नहीं थी।
होटलों में जांच के निर्देश संबंधी दस्तावेज या साक्ष्य न मिलने से माना जा रहा है कि पुलिस कर्मियों के पास होटल कृष्णा पैलेस जाने का कोई ठोस कारण नहीं था। इसीलिए वसूली के लिए होटल में जाने के इनपुट की प्रमाणिकता भी परखी जा रही है। देखा जा रही है कि वसूली के दौरान मार-पिटाई से ही तो मनीष की मौत नहीं हुई। एसआइटी यह भी जानने की कोशिश में है कि पुलिसकर्मियों का इरादा युवकों को डरा-धमकाकर रुपये ऐंठने का था या वह किसी बड़ी योजना के तहत सीधे मनीष के कमरे में दाखिल हुए थे।
एसआइटी को पता चला है कि एक सिपाही को छोड़कर हर किसी के पास छोटे असलहे थे यानी पुलिस टीम के बिना तैयारी जाने से सनसनीखेज सूचना होने की आशंका भी खारिज हो जाती है। एसआइटी का यह भी मानना है कि उस दिन भले कमरे में तीन से चार पुलिस कर्मी गए हों, लेकिन अचेत मनीष को ले जाने व तथ्यों को छिपाने में आरोपित पुलिस कर्मियों ने मुख्य हत्यारोपित जगत नारायण का साथ दिया है, ऐसे में सभी दोषी हैं।