जयपुर : राजस्थान में हनुमानगढ़ जिले के भैरूसरी गांव की तीन सगी बहनों का एकसाथ राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) में चयन हुआ है।
तीनों बहनों ने एक साथ आरएएस अधिकारी बनकर इतिहास रचा है। किसान की तीनों बेटियों ने अपनी मेहनत से साबित कर दिया है कि अगर इच्छा शक्ति और अच्छी परवरिश की जाए तो बेटियां बोझ नहीं होती हैं।
इनकी दो बड़ी बहनें पहले से आरएएस अधिकारी हैं। बेटियों की इस उपलब्धि की चर्चा हनुमानगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे राज्य में हैं। आरएएस में चयनित हुई तीनों बहनों सुमन, अंशु और रितु सहारण ने साल, 2018 में आरएएस की परीक्षा दी थी, जिसका दो दिन पहले परिणाम आया है।
बेटियों की इस कामयाबी के कारण पूरे गांव में उत्साह का माहौल है । दो दिन से जश्न मनाया जा रहा है । मिठाई बांटी जा रही है। अपनी बेटियों की कामयाबी से खुश पिता सहदेव सहारण और मां मीरा का कहना है कि मैंने बेटियों को शुरू से ही अच्छी शिक्षा देने पर बल दिया था।
बचपन से ही उन्हें बड़ा अधिकारी बनने को लेकर प्ररित किया था। उन्होंने बताया कि मेरी दो बड़ी बेटियों में एक रोमा विकास अधिकारी है, वहीं दूसरी मंजू सहकारिता विभाग में इंस्पेक्टर है। मैं बड़ा खुशसीब हूं ।
पिता बोले-बेटों की चाहत रखने वालों के लिए सबक पांचों बेटियों के अधिकारी बनने के बाद उनके पिता सहदेव कहते हैं कि बेटों की चाहत रखने वालों को अब सबक लेना चाहिए । उन्होंने कहा कि हमने बेटियों को कभी अभिशाप नहीं समझा, बल्कि उन्हें हीरे की तरह निखारा । उनकी हर बात पर ध्यान दिया।
मैंने जब बेटियों को पढ़ाया तो समाज के लोगों ने ताना दिया कि बेटियों को इतना पढ़ाकर क्या करोगे। इन्हें एक दिन दूसरे घर जाना है। घर का कामकाज करना ही लड़कियों की किस्मत है ।
लेकिन, बेटियों को अधिकारी बनाने की इच्छा के चलते समाज के ताने भी सुने। प्रेरणा बनीं बड़ी बेटियों ने की मदद सहदेव ने कहा कि मेरी दो बड़ी बेटियों में एक रोमा का साल, 2011 और दूसरी मंजू का 2012 में आरएएस में चयन हुआ तो छोटी बहनों को भी उनसे प्रेरणा मिली।
दोनों बड़ी बहनें भी पढ़ाई को लेकर तीनों की लगातार मदद करती थीं। तीनों बहनें बोलीं-लक्ष्य तय कर तैयारी की सुमन,अंशु और रितु का कहना है कि दो बड़ी बहनों का आरएएस में चयन होने के बाद हमने भी लक्ष्य तय कर अधिकारी बनने को लेकर तैयारी शुरू की थी।
उसी हिसाब से प्रतिदिन सात से आठ घंटे पढ़ाई की । सरकारी स्कूल में की पढ़ाई तीनों बहनों सुमन,अंशु और रितु ने बताया कि उन्होंने गांव के सरकारी स्कूल में पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई की। उसके बाद अलग-अलग स्कूलों में भर्ती हुईं ।
तीनों में अंशु ने ओबीसी गर्ल्स में 31, रितु ने 96 और सुमन ने 98वीं रैंक हासिल की है। अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता को देते हुए तीनों बहनें बोलीं, अब हम समाज की सेवा करने के साथ ही बालिका शिक्षा पर विशेष जोर देंगे ।
सड़कों की सफाई करते हुए की पढ़ाई, अब बनी आरएएस अधिकारी जोधपुर नगर निगम की सफाईकर्मी आशा कंडारा का भी आरएएस में चयन हुआ है ।
दो बच्चों की मां आशा का करीब पांच साल पहले पति से तलाक हो गया तो परिवार की जिम्मेदारी उन पर आ गई। ऐसे में उन्होंने लोगों के घरों में काम किया और इस दौरान स्नातक की शिक्षा पूरी की। इसके बाद 2018 में आरएएस की परीक्षा दी ।
परीक्षा देने के 15 दिन पहले वह नगर निगम में सफाई कर्मचारी के रूप में नौकरी करने लगीं थीं । ऐसे में सड़कों पर झाडू लगाते हुए उसने आरएएस की परीक्षा की तैयारी की। आशा का कहना है कि गरीब और जरूरतमंदों की मदद मेरा प्रथम लक्ष्य रहेगा। अब तक अभाव में रहे बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की कोशिश करूंगी।