सरकार के प्रयास लाए रंग, कोयले की मांग और उत्पादन में हुआ इजाफा

नई दिल्ली :

नई दिल्ली :

भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्था है और आने वाले वर्षों में इसके दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की आशा है। पिछले दशक में तीव्र औद्योगिक विकास के साथ विद्युत की मांग में बढ़ोतरी हुई है और आने वाले दिनों में भी यह बढ़ोतरी जारी रहेगी।

हमारे राष्ट्र में विद्युत की मांग को पूरा करने के लिए सरकार ने घरेलू कोयला उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई पहलें की हैं। इसके परिणामस्वरूप कोयले की बढ़ी हुई मांग के साथ घरेलू कोयला उत्पादन में भी बढ़ोतरी हुई है। साल 2022-23 में घरेलू कोयला उत्पादन का आंकड़ा 14.77 फीसदी बढ़कर साल 2021-22 के 778.21 मीट्रिक टन से बढ़कर 893.19 मीट्रिक टन तक पहुंच गया। इसके अलावा चालू वित्तीय वर्ष में नवंबर 2023 तक लगभग 13 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ पिछले वित्तीय वर्ष की समान अवधि के 524.72 मीट्रिक टन की तुलना में लगभग 591.40 मीट्रिक टन कोयले का उत्पादन किया गया है।

घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी के परिणामस्वरूप चालू वित्तीय वर्ष में अप्रैल से सितंबर, 2023 के दौरान कोयला आयात में पिछले वित्तीय वर्ष की समान अवधि की तुलना में 5 फीसदी की गिरावट आई है। यह देश में कोयले की आयात निर्भरता में कमी को दिखाता है।

देश के कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों में कोयले की कुल खपत लगभग 5 फीसदी चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) के साथ साल 2017-18 के लगभग 608 मीट्रिक टन से बढ़कर 2022-23 में लगभग 777 मीट्रिक टन हो गई है। राष्ट्रीय विद्युत योजना- खंड-I के अनुसार: साल 2031-32 के लिए उत्पादन (असाधारण राजपत्र संख्या 3189, एसआई संख्या 329, भाग-III, खंड IV दिनांक 18.05.2023 के तहत अधिसूचित) के अनुसार घरेलू कोयले की जरूरत 1025.8 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया गया है और आयातित कोयले पर चलने के लिए डिजाइन किए गए संयंत्रों के लिए आयातित कोयले की अनुमानित कोयले की जरूरत 28.9 मिलियन टन है। इसके अलावा 20वीं इलेक्ट्रिक पावर सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार साल 2031-32 के लिए अखिल भारतीय आधार पर अनुमानित विद्युत आवश्यकता और इसकी चरम मांग क्रमशः 2473.7 बीयू और 366.4 गीगावाट है।

घरेलू कोयला उत्पादन अगले कुछ वर्षों में सालाना 6-7 फीसदी बढ़कर 2029-30 में लगभग 1.5 बिलियन टन तक पहुंचने की संभावना है। अंतिम उपयोगकर्ताओं तक कोयले के सुचारू परिवहन के लिए नई रेल परियोजनाओं के माध्यम से निकासी बुनियादी ढांचे में सुधार और फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) परियोजनाओं के माध्यम से कोयले की लदान को मशीनीकृत करने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं।

कोयला उत्पादन में बढ़ोतरी को प्राथमिकता देते हुए सरकार टिकाऊ विकास को लेकर हमारी जिम्मेदारी से अवगत है। साथ ही, विद्युत के टिकाऊ दोहन और संरक्षण की दिशा में तेजी से कदम उठा रही है।

रेल मार्ग के माध्यम से पूरे भारत में कोयले की ढुलाई रेल मंत्रालय का क्षेत्र है। हालांकि, कोयला निकासी के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए कोल इंडिया लिमिटेड ने छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड में ब्राउनफील्ड क्षेत्रों में अपनी विस्तार खनन परियोजनाओं और ग्रीनफील्ड क्षेत्रों में नई खनन परियोजनाओं के लिए सात नई रेल लाइनों के निर्माण में लगभग 20,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। यह नए रेलवे साइडिंग के निर्माण और इसके कमान क्षेत्र के तहत पुराने साइडिंग के नवीनीकरण और क्षमता बढ़ोतरी के अतिरिक्त है।

Share this with Your friends :

Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter