साकीनाका रेप केस: राज्यपाल ने दी विशेष सत्र बुलाने की सलाह,CM ठाकरे ने दिया जवाब

मुंबई : कुछ दिनों पहले मुंबई के साकीनाका क्षेत्र में हुए दुष्कर्म कांड पर विवाद थम नहीं रहा है। अब इस मामले में राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी एवं मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बीच जवाबी पत्राचार का दौर शुरू हो गया है। साकीनाका में एक महिला के साथ दुष्कर्म एवं दरिंदगी के बाद इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई थी।

इस घटना के बाद राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर राज्य की कानून-व्यवस्था पर चर्चा करने के लिए विधानमंडल का दो दिन का विशेष सत्र बुलाने का सुझाव दिया था। साथ ही महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार पर सख्त कदम उठाने के निर्देश भी दिए थे। इसका जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ठाकरे ने राज्यपाल को एक पत्र लिखा है।

मंगलवार को लिखे गए इस पत्र में ठाकरे ने गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार आदि राज्यों में महिलाओं के साथ होने वाली घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा है कि आप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखें कि वे इस राष्ट्रव्यापी समस्या का समाधान निकालने के लिए संसद का चार दिनों का विशेष सत्र बुलाएं।

वहां बेशक साकीनाका दुष्कर्म कांड पर भी चर्चा हो। मुख्यमंत्री के इस पत्र पर भाजपा नेता जहां आग बबूला हो रहे हैं, वहीं महाविकास अघाड़ी के नेता उद्धव के साथ खड़े नजर आ रहे हैं।

विधान परिषद में नेता विरोधी दल प्रवीण दरेकर ने मुख्यमंत्री को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि राज्यपाल के पत्र का उत्तर देने की जरूरत नहीं थी। उसमें दिए गए निर्देशों पर अमल किया जाना चाहिए। महाविकास अघाड़ी के नेताओं का कहना है कि यदि इस प्रकार की घटनाओं पर विधानमंडल का विशेष सत्र बुलाया जाने लगेगा, फिर तो गुजरात में दुष्कर्म की रोज तीन घटनाएं होती हैं। वहां तो एक महीने का सत्र बुलाना पड़ेगा।

राज्यपाल जिस उत्तराखंड से आते हैं, वहां भी दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ी हैं। वहां महाराष्ट्र से पहले विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने भी राज्यपाल के पत्र की आलोचना करते हुए कहा कि राज्यपाल अपनी तरफ से सत्र बुलाने की मांग कर नई परंपरा की शुरुआत कर रहे हैं।

बता दें कि महाविकास अघाड़ी सरकार एवं राज्यपाल के बीच शुरू से ही तनातनी का दौर चलता आ रहा है। अक्तूबर 2019 में सुबह-सुबह देवेंद्र फड़नवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवाने से इस तनाव की शुरुआत हुई थी। उसके बाद से कई मौकों पर महाविकास अघाड़ी की ओर से राज्यपाल की आलोचना की जाती रही है। उन्हें भाजपा का सक्रिय कार्यकर्ता बताया जाता रहा है। 

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