12वीं की बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने के लिए छात्रों ने प्रधान न्यायाधीश को भेजा पत्र, इधर सरकार रायशुमारी में जुटी

भोपाल: अधिकतर राज्यों ने 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं के दौरान प्रमुख विषयों के लिए कम अवधि की परीक्षा कराने के विकल्प को चुना है। वहीं कुछ राज्यों ने परीक्षा से पहले छात्रों और शिक्षकों के टीकाकरण पर भी जोर दिया है। शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से रविवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में सामने आए दो प्रस्तावों पर मंगलवार तक विस्तृत सुझाव देने को कहा था। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने 15 जुलाई से 26 अगस्त के बीच परीक्षाएं कराने और सितंबर में परिणाम घोषित करने का प्रस्ताव रखा है।

बोर्ड ने दो विकल्प भी प्रस्तावित किए हैं। इनमें एक में 19 प्रमुख विषयों के लिए अधिसूचित केंद्रों पर नियमित परीक्षाएं कराना या छात्रों के अध्ययन वाले स्कूलों में ही अल्पावधि की परीक्षाएं कराने के विकल्प हैं। इस बीच ट्विटर पर हैशटैग ‘बोर्ड परीक्षाएं रद्द करो’ ट्रेंड करता रहा। 300 से अधिक छात्रों ने देश के प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर प्रत्यक्ष परीक्षाएं कराने के प्रस्ताव को रद्द करने की गुहार लगाई है। उन्होंने पिछले वर्ष की तरह ही वैकल्पिक मूल्यांकन योजना को अमल में लाने का अनुरोध किया है।

शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहाकि हमें काफी राज्यों से सुझाव और प्रतिक्रियाएं मिली हैं। राज्यों के बीच यह व्यापक आम-सहमति है कि परीक्षाएं कराई जानी चाहिए। जैसा कि पहले मंत्री ने कहा था कि मिलकर लिए गए फैसले की घोषणा एक जून तक की जाएगी। दिल्ली सरकार ने छात्रों को टीका लगवाने अन्यथा परीक्षाएं निरस्त करने का अपना रुख दोहराया है। उसने कहा है कि अगर टीकाकरण कराके परीक्षाएं कराई जाती हैं तो दिल्ली सरकार दूसरे विकल्प के पक्ष में है जिसमें बच्चों के स्कूल में ही कम अवधि की परीक्षाएं कराने का प्रस्ताव है।

Share this with Your friends :

Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter