नई दिल्ली : रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटर मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह की पत्नियों से 200 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने अभिनेत्री लीना मारिया पाल को भी गिरफ्तार कर लिया है।
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उससे पूछताछ के दो हफ्ते बाद आर्थिक अपराध शाखा ने यह कार्रवाई की है। पाल के पुरुष मित्र सुकेश चंद्रशेखर व एक बैंक मैनेजर समेत सात लोगों को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। पाल सति इन सभी के खिलाफ पुलिस ने मकोका के तहत भी कार्रवाई की है। इससे लंबे समय तक अब इन्हें जमानत नहीं मिलेगी।
सिंह बंधुओं की पत्नियों ने शिकायत में कहा था कि उन्हें पिछले साल जून में एक फोन आया था, जिसमें फोन करने वाले ने खुद को कानून मंत्रालय में सचिव बताकर शिविंदर और मलविंदर सिंह को जमानत दिलाने का दावा किया था। इसके लिए उसने 200 करोड़ रुपये की मांग की थी। यह रकम हांगकांग स्थित संस्थाओं की कुछ मुखौटा फर्मों के अलावा लीना मारिया पाल द्वारा कथित तौर पर संपत्ति खरीदने के लिए भेजी गई थी।
सिंह बंधुओं को जब कोई कानूनी राहत नहीं मिल सकी तो उन्हें ठगी का एहसास हुआ। इसके बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले में अगस्त में सबसे पहले स्पेशल सेल ने सुकेश समेत तीन को गिरफ्तार किया था।
उसके बाद पुलिस आयुक्त ने केस को विस्तृत जांच के लिए आर्थिक अपराध शाखा में ट्रांसफर कर दिया। ईडी भी उक्त मामले में समानांतर जांच कर रहा है। ईडी ने 23 अगस्त को सुकेश चंद्रशेखर से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में 16 लग्जरी कारें, चेन्नई में स्थित एक आलीशान बंगला, 82.5 लाख रुपये नकद और दो किलो सोना जब्त किया था।
ईडी के अधिकारियों ने 2013 में आई फिल्म ‘मद्रास कैफे’ की अभिनेत्री सुकेश की प्रेमिका लीना मारिया पाल से पूछताछ के बाद यह सब बरामदगी की थी। पुलिस को शक है कि लीना को इस धोखाधड़ी के बारे में जानकारी थी। दिल्ली पुलिस की हिरासत खत्म होने के बाद ईडी भी सुकेश को रिमांड पर लेगा।
सुकेश से पूछताछ के बाद आर्थिक अपराध शाखा ने कुछ हफ्ते पहले आरबीएल बैंक, कनाट प्लेस शाखा के मैनेजर कोमल पोद्दार और उसके दो सहयोगी अविनाश कुमार व जितेंद्र नरूला को गिरफ्तार किया था। इन दोनों पर सुकेश के लिए धन की व्यवस्था करने का आरोप है।
जांच में पता चला है कि सुकेश ने ‘क्रे•ाी काल’ नाम के एप के माध्यम से सिंह बंधुओं की पत्नियों से संपर्क किया था। इसके बाद खुद को उच्चाधिकारी बताकर सिंह बंधुओं को जमानत दिलाने का झांसा देकर रकम ऐंठी थी। आखिरी बार उसने कानून मंत्रालय में खुद को सचिव बताकर काल की थी।