चेन्नई : केंद्रीय रेल, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) में स्वदेशी वंदे भारत रेलगाड़ियों के विनिर्माण कार्य का निरीक्षण किया। इस दौरान रेल मंत्री ने फैक्ट्री के कर्मचारियों के साथ बातचीत की तथा उन्हें और बेहतर कार्य करने के लिए प्रेरित किया।
भारतीय रेलवे ने ‘मेक इन इंडिया’ की सफलता की कहानी के एक उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में देश की पहली स्वदेशी सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस का शुभारंभ किया था। पहली वंदे भारत एक्सप्रेस रेलगाड़ी को 15 फरवरी, 2019 को नई दिल्ली कानपुर-इलाहाबाद-वाराणसी मार्ग पर झंडी दिखाकर रवाना किया गया था। तेज गति, सुरक्षा और सेवा इस रेलगाड़ी की मुख्य पहचान है।
भारतीय रेलवे की उत्पादन इकाई इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) चेन्नई पूरी तरह से इन-हाउस डिजाइन और निर्माण, कंप्यूटर मॉडलिंग तथा केवल 18 महीनों में सिस्टम एकीकरण के लिए बड़ी संख्या में आपूर्तिकर्ताओं के साथ मिलकर काम करने की प्रमुख शक्ति रही है।
अश्विनी वैष्णव ने अपनी यात्रा के दौरान चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री से लिंके हॉफमैन बुश (एलएचबी) किस्म के 12 हजारवें डिब्बे को झंडी दिखाकर रवाना किया। एलएचबी कोच एंटी-टेलीस्कोपिक, सुरक्षित, हल्के तथा अधिक आरामदायक हैं और इनमें झटके नहीं लगते हैं। सुरक्षा की दृष्टि से अधिक उपयोगी आईसीएफ पारंपरिक कोचों को चरणवार तरीके से एलएचबी कोचों से बदलने का कार्य किया जा रहा है।
अश्विनी वैष्णव ने 19 मई 2022 की रात के समय चेन्नई के एग्मोर रेलवे स्टेशन का भी दौरा किया। उन्होंने स्टेशन पर सुविधाओं का निरीक्षण किया और चेन्नई एग्मोर स्टेशन की पुनर्विकास परियोजना के मास्टर प्लान की समीक्षा की। रेल मंत्री ने चेन्नई एग्मोर के लिए प्रस्तावित पुनर्विकास योजनाओं और चेन्नई मेट्रो रेल लिमिटेड- सीएमआरएल के साथ इंटर-मॉडल कनेक्टिविटी की सुविधा के बारे में विस्तार से चर्चा की।
मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री के पास भारतीय रेलवे की रूपरेखा बदलने का दृष्टिकोण है क्योंकि उनका मानना है, भारतीय रेलवे के कायाकल्प से भारतीय अर्थव्यवस्था के परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त होगा और विभिन्न श्रेणियों के स्टेशनों का पुनर्विकास उस बदलाव का एक अहम हिस्सा है।
उन्होंने चेन्नई एग्मोर पुनर्विकास के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि चेन्नई एग्मोर स्टेशन की विरासत को विधिवत बनाए रखते हुए इसका पुनर्विकास किया जाएगा और साथ ही साथ विश्व स्तर के मानकों के अनुरूप इसकी सुविधाओं में सुधार किया जाएगा। पुनर्विकास के बाद स्टेशन आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बन जायेगा।
अपने पुनर्विकास के बाद चेन्नई एग्मोर दक्षिण रेलवे का दूसरा सबसे बड़ा टर्मिनल होगा और इसमें विश्व स्तरीय सुविधाएं तथा हवाईअड्डे जैसी विशेषताएं सुलभ होंगी, जिनमें अलग आगमन और प्रस्थान गलियारे, बेहतर रोशनी का प्रबंध और एस्केलेटर, लिफ्ट तथा स्काईवॉक द्वारा प्लेटफार्मों तक बिना परेशानी के पहुंच शामिल होगी।
अपनी यात्रा के दौरान रेल मंत्री वैष्णव ने “अविष्कार हाइपरलूप” के प्रयासों की सराहना की, यह आईआईटी मद्रास में एक उत्साही छात्र के नेतृत्व वाली टीम है, जो स्केलेबल हाइपरलूप प्रौद्योगिकियों को विकसित करके भारत में रेलवे की गतिशीलता के भविष्य को बदलने के लिए प्रतिबद्ध है।
हाइपरलूप परिवहन का एक नया अभिनव तरीका है, जो देश में रेल के सफर को तेज, आसान और आधुनिक बनाने में सहायता करेगा और इससे कार्बन उत्सर्जन तथा ऊर्जा खपत को कम करने के लक्ष्य में भी मदद मिलेगी। यह न्यूनतम कार्बन फुटप्रिंट के साथ टिकाऊ, तेज और भविष्य के लिए आसानी वाला परिवहन समाधान है। इसकी अवधारणा शहरों के बीच निर्मित वैक्यूम ट्यूबों में ध्वनि की गति के आसपास यात्रा करने वाले लेविटेटिंग पॉड्स पर आधारित है। वैक्यूम ट्यूब में एक मैग्लेव।
भारतीय रेलवे ने स्वदेशी रूप से हाइपरलूप प्रौद्योगिकी आधारित परिवहन प्रणाली विकसित करने के लिए आईआईटी मद्रास से हाथ मिलाया है, जो बुलेट ट्रेनों की तुलना में और तेजी से चलती है तथा इसकी परिचालन लागत काफी कम है। भारतीय रेलवे इस परियोजना के लिए आईआईटी मद्रास को 8.34 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देगा।