नईदिल्ली । जहां सर्दी जुकाम होने पर आम तौर पर कोरोना का डर सताने लगता है। वहीं एक वैज्ञानिक शोध ने एक ऐसा तथ्य पेश किया है। जिसमें सामान्य सर्दी जुकाम का कारण बनने वाला रायनो वायरस, कोरोना वायरस को मात दे सकता है। इसकी मदद से कोरोना के खतरे को कम किया जा सकता है। फिलहाल यह शोध एक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने देश में हाहाकार मचा रखी है। इसे काबू में करने की तमाम कोशिशें नाकाफी साबित हो रही हैं। ऐसे में एक नए शोध ने उम्मीद की नई किरण जगाई है। दरअसल, वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि सामान्य सर्दी जुकाम के लिए जिम्मेदार रायनोवायरस शरीर में प्रवेश कर कोरोना को मात देने में सक्षम है। इस वायरस की मदद से कोविड-19 के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। यह शोध विज्ञान पत्रिका जर्नल ऑफ इन्फेक्शस डिजीज में प्रकाशित हुआ है।
रायनोवायरस नहीं बढ़ने देता कोरोना को
ग्लोसगो में सेंटर फॉर वायरस रिसर्च की टीम ने इस पर शोध किया। इस दौरान एक कोशिकाओं समेत एक ढांचा तैयार किया गया, जो इंसान के श्वासन तंत्र की तर्ज पर काम करता है। इसमें सर्दी-जुकाम के लिए जिम्मेदार रायनोवायरस और कोरोना वायरस दोनों को एक ही समय पर छोड़ा गया। प्रयोग के दौरान दिखा कि ढांचे पर रायनोवायरस का कब्जा हो गया, जबकि कोरोना वायरस से वो लगभग अप्रभावित रहा।
इस तरह जमाता है प्रभाव
रोयनोवायरस भी इंसानों या दूसरे पशुओं की तर्ज पर ही काम करते हैं। जैसे हम अपनी जगह बनाने के लिए आपस में लड़ते हैं और खुद को साबित करते हैं, उसी तरह से वायरस भी होस्ट शरीर में प्रवेश के लिए लड़ते हैं और वही वायरस जीतता है, जो दूसरे वायरस को खत्म कर दे। सर्दी-जुकाम के लिए जिम्मेदार रायनोवायरस भी इसी तर्ज पर काम करता है।
रायनोवायरस के बारे जानें
आमतौर पर इसे आरवी (आरवी) भी कहते हैं। ये सामान्य सर्दी-जुकाम का सबसे कॉमन कारण है। इससे ऊपरी श्वासन तंत्र पर असर होता है। रायनोवायरस का प्रकोप अमूमन सर्दी और बसंत के मौसम में दिखता है, लेकिन ये सालभर भी हो सकता है।
दवा की जरूरत नहीं पड़ती
रायनोवायरस के साथ अच्छी बात ये है कि वायरस के कारण पैदा होने वाली तकलीफें जैसे सर्दी, नाक बहना, हल्का बुखार या थकान हमारे शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता से अपने अपने आप एक हफ्ते में ठीक हो जाते हैं। हालांकि 25 फीसदी मामलों में ये दो हफ्ते तक भी रह सकता है। इस वायरस के लिए कोई एंटी वायरस दवा नहीं है और आमतौर पर इसकी जरूरत भी नहीं होती है।
इस मामले में पहले भी हो चुका है प्रयोग
दरअसल, साल 2009 में जब यूरोपियन देश स्वाइन फ्लू से बुरी तरह कराह रहे थे, तब रायनोवायरस या सामान्य सर्दी-जुकाम का भी मौसम था। ऐसे में जिन लोगों को सर्दी-जुकाम हुआ, वे स्वाइन फ्लू से सुरक्षित रहे। इसके बाद हुए एक शोध में यह भी निष्कर्ष निकाला गया कि कोरोना वायरस उसी के शरीर में सक्रिय होता है, जिसके भीतर रायनोवायरस न हो।