दतिया। सेवढ़ा तहसील के ग्राम थरेट में एक निजी चिकित्सक व उनका बेटा कोरोना संक्रमित होने के बावजूद लोगों का इलाज कर रहे थे। इस पर सेवढा तहसीलदार ने उन पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए नोटिस दिया है। नोटिस में क्लीनिक सील करने की बात भी कही गई है। इस मामले में आम लोगों का तर्क है कि प्रशासन को प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर्स का कोरोना टेस्ट अनिवार्य कर देना चाहिए। जिसके रिपोर्ट निगेटिव होने पर ही उन्हें प्रैक्टिस की इजाजत मिलना चाहिए। क्योंकि मरीजों को डाॅक्टर की िस्थति के बारे में कोई जानकारी नहीं होती।
प्राप्त जानकारी के अनुसार थरेट निवासी गोपाल सिंह और उनके पुत्र अजीत सिंह कोरोना संक्रमित होने के बावजूूद लोगों का इलाज कर रहे थे। जब इस बात की सूचना सेवढ़ा तहसीलदार को लगी तो उन्होंने मामला संज्ञान में लेते हुए निजि चिकित्सक को एक नोटिस जारी किया। जिसमें उल्लेख है कि कोरोना संक्रमित है उसके बावजूद अपनी क्लीनिक पर मरीजों एकत्रित कर इलाज कर रहे हैं। इसके तहत तहसीलदार ने गोपालसिंह पर आपदा प्रबंध की धारा के तहत 10 हजार रुपये का जुर्माना भी किया है। जुर्माना नहीं भरने पर क्लीनिक को सील करने की चेतावनी भी दी है।
बता दें कि जिले में निजी चिकित्सकों द्वारा लोगों का इलाज किया जा रहा है, जहां पर काफी भीड़ हो रही है। थरेट में डा.गोपाल सिंह खुद संक्रमित होने के बाद भी लोगों का इलाज कर रहे थे। ऐसे में उनसे कई लोगों के संक्रमित होने का खतरा पैदा हो रहा था। प्रशासन ने इस पर कार्रवाई करते हुए अभी जुर्माना लगाया है, इसके बाद उनके क्लीनिक को सील करने की भी कार्रवाई की जाएगी।
इससे पहले में दतिया में बेटे के कोरोना संक्रमित होने के बावजूद मेडीकल संचालक अपनी दुकान संचालित करता पाया गया था। जिस पर आसपास के लोगों ने असंतोष जताया तो प्रशासन की ओर से कार्रवाई कर दुकान सील कर दी गई थी। ग्रामीण क्षेत्रों में जब से प्राइवेट प्रैक्टिस की छूट मिली है, तभी से ऐसे चिकित्सक फिर से सक्रिय हो गए हैं। जिन पर निगरानी न रखे जाने का वो फायदा उठा रहे हैं।