वाराणसी से हावड़ा के बीच जल्दी दौड़ेगी बुलेट ट्रेन, कारिडोर निर्माण के लिए जल्द शुरू होगा सर्वे

वाराणसी : बनारस को दिल्ली के बाद कोलकाता तक बुलेट ट्रेन की सेवा मिलेगी। वाराणसी के मंडुआडीह से कोलकाता के हावड़ा तक बुलेट ट्रेन चलाने के लिए अलग हाईस्पीड रेल कारिडोर का निर्माण होगा। इसे लेकर मेसर्स गवेशना जीओ साइंसेज प्राइवेट लि. जल्द सर्वे करने जा रही है। प्रस्तावित रूट पर सुविधाओं की जानकारी देने के लिए पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी मंडल से नोडल अधिकारी नियुक्त हुए हैं, जो सर्वे कंपनी से जुड़कर कारिडोर के लिए कार्य करेंगे। नोडल अधिकारी की नियुक्ति के लिए नेशनल हाई स्पीड रेल कार्पोरेशन लि. यानी एनएचएसआरसीएल के मुख्य परियोजना प्रबंधक पुनीत अग्रवाल ने पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी मंडल के डीआरएम विजय कुमार पंजियार को पत्र लिखा था।

जिनके आदेश पर एडीआरएम इंफ्रा के प्रवीण कुमार को नोडल अफसर की जिम्मेदारी दी गई है। नेशनल हाईस्पीड रेल कार्पोरेशन सरकार की अनुबंधित संस्था है। देश में हाईस्पीड रेल कारिडोर का निर्माण व प्रबंधन कर रही संस्था 508 किमी लंबे मुंबई-अहमदाबाद हाईस्पीड रेल कारिडोर निर्माण में लगी है। रेलवे मंत्रालय ने अन्य क्षेत्रों में हाईस्पीड कारिडोर निर्माण के लिए भी रुझान दिखाया है। इसके तहत सात कारिडोर चयनित हुए हैं। इसमें वाराणसी से पटना होते कोलकाता के हावड़ा तक हाईस्पीड कारिडोर भी है, जो 787 किलोमीटर लंबा है।

एक्सप्रेस-वे व हाईवे के समानांतर

कारिडोर का निर्माण प्राथमिकता में होगा। जो वाराणसी के साथ बक्सर, पटना, बोधगया, बरही, धनबाद, आसनसोल, दुर्गापुर, बर्दवान और हावड़ा को जोड़ेगा। अभी स्टेशन की लोकेशन तय नहीं हालांकि अब तक स्टेशन की लोकेशन निर्धारित नहीं है। कारिडोर के संभावित रूट प्लान का अध्ययन कर इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। एनएचएसआरसीएल ने सर्वे की जिम्मेदारी मेसर्स गवेशना जीओ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड को दी है। उसी आधार पर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनेगी। कारिडोर की राह में कौन जन सुविधाएं हैं जिन्हें निर्माण के दौरान नुकसान हो सकता है, इसकी जानकारी साझा करने के लिए ही पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी मंडल से नोडल अधिकारी की नियुक्ति हुई है।

यह सर्वे कार्य कंपनी के परियोजना

प्रबंधक की निगरानी में किया जाएगा। सर्वे में लिडार तकनीक का इस्तेमाल ग्राउंड सर्वे करने के लिए हेलीकाप्टर के जरिए लेजर युक्त उपकरण के साथ लिडार (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। मुंबई-अहमदाबाद हाईस्पीड रेल कारिडोर में लिडार तकनीक के सफलतापूर्वक इस्तेमाल के बाद इसका प्रयोग इस रूट पर किया जा रहा है। इस तकनीक से उच्च गुणवत्ता वाले डाटा कम समय में डिजिटली मिल सकेंगे। सर्वे डाटा देने में यह तकनीक उड़ान मापदंडों, लेजर डाटा, जीपीएस डाटा और वास्तविक तस्वीरों के संयोजन का उपयोग करती है। सटीक होने के कारण हवाई लिडार सर्वेक्षण तकनीक देश में पहली बार मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना प्रयोग की गई थी।

वाराणसी से दिल्ली के बीच प्रथम चरण का सर्वे :  इस कारिडोर की संभावित लंबाई 800 किमी तय की गई है। नई दिल्ली-वाराणसी हाईस्पीड रेल कॉरिडोर से दिल्ली, एनसीटी आगरा, मथुरा, लखनऊ, इटावा, रायबरेली, प्रयागराज, वाराणसी, भदोही और अयोध्या जैसे शहर जुड़ेंगे। सर्वे का प्रथम चरण पूरा हो चुका है। वाराणसी में जिन गांवों से कारिडोर गुजरेगा वे चिह्नित हो चुके हैं। राजातालाब तहसील पर यहां के बाशिंदों की हुई खुली बैठक में पर्यावरणीय व समाजिक प्रभाव पर चर्चा हुई थी।

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