भोपाल : सरसों के भाव इस साल इतने बढ़े कि किसानों के चेहरे खुशी से खिल गए। अलबत्ता बाजार में सरसों जितनी रफ्तार से महंगी हुई, उससे कहीं ज्यादा गति से इसके तेल के दाम बढ़ते जा रहे हैं। इसका फायदा तेल कारोबारी ज्यादा उठा रहे हैं। कई नामी कंपनियां तो सरसों के एक किलो तेल में 45 रुपये या उससे ज्यादा मुनाफा कमा रही हैं। तेल के थोक भाव और नामी कंपनियों के सरसों के तेल के दाम में मुनाफाखोरी का संक्रमण सामने आ रहा है। बाजार में जितनी भी नामी कंपनियां शुद्ध सरसों का तेल या कच्ची धानी का तेल सप्लाई कर रही हैं, उनमें से कोई कंपनी 202 रुपये तो कोई 210 रुपये प्रति लीटर में सरसों का तेल बेच रही है।
कुछ अंतरराष्ट्रीय कंपनियां तो सरसों के तेल को 220 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा महंगा बेचने लगी हैं। मध्य प्रदेश के बड़े सरसों उत्पादक जिलों में शुमार मुरैना में ही कई ब्रांड के सरसों का तेल पैक करके बाजार में बेचा जाता है। इन लोकल ब्रांड के सरसों के तेल के दाम भी 180 से 190 रुपये लीटर हैं। 20 दिन पहले सरसों के भाव 7400 रुपये क्विंटल पहुंचे तो सरसों के तेल के दाम बढ़कर 170 से 200 रुपये लीटर हो गए थे। अब एक पखवाड़े से सरसों के दाम 6700 से 6800 रुपये क्विंटल के आसपास हैं। लेकिन खुले बाजार में सरसों का तेल बढ़े हुए दामों पर ही बिक रहा है।
मुरैना के ऑयल मिल संचालक ने बताया कि उनके यहां से सरसों का तेल 155 रुपये प्रति किलो में सप्लाई हो रहा है। श्योपुर जिले की ऑयल मिल के संचालक ने बताया कि उनका पूरा तेल नामी कंपनी व अन्य तेल कारोबारी थोक में 157 रुपये प्रति किलो के हिसाब से ले जा रहे हैं। ऑयल मिलों से 155-157 रुपये प्रति किलो में सरसों तेल खरीदने के बाद उसी तेल को नामी कंपनियां 200 से 210 रुपये लीटर में बेचकर 45 रुपये या उससे अधिक मुनाफा तो कमा ही रही हैं, जबकि तेल को किलो की जगह लीटर में बेचकर ही इनका पैकिंग व अन्य खर्च निकल आता है।
एक लीटर तेल के ट्रांसपोर्टेशन पर दो से सवा दो रुपये का खर्च आंका जाता है और एक लीटर की बोतल में तेल पैकिंग करने पर लगभग नौ रुपये का खर्च आता है। यानी लगभग 11 रुपये खर्च होता है। एक किलो की तुलना में एक लीटर 911 ग्राम का होता है यानी वजन 89 ग्राम कम। अगर 150 रुपये किलो के हिसाब से भी जोड़ा जाए तो यह 89 ग्राम तेल साढ़े 13 रुपये से ज्यादा का होता है। इस तरह उनकी पैकिंग का खर्च तो आसानी से निकल आता है।