प्रतापगढ़ : ‘कोरोना माई’ का मंदिर..सुनने में तो अजीब लगता है, लेकिन है सौ फीसद सत्य। संभवत: यह पहला और अनूठा मंदिर है, जो प्रतापगढ़ के ग्रामीणों के विश्वास का केंद्र बना हुआ है। ग्रामीणों ने एक मंदिर बनवाया और उसमें प्रतिमा स्थापित की, फिर शुरू हो गया पूजा-पाठ।
यह मंदिर सिर्फ पूजन-अर्चन के लिए ही नहीं है, बल्कि कोविड-19 गाइडलाइन के पालन करने का संदेश भी देता है।
प्रतापगढ़ के सांगीपुर थाना क्षेत्र के जूही शुकुलपुर गांव में कोरोना से बीते दिनों तीन लोगों की मौत हो गई। कुछ अन्य संक्रमित होने के बाद जैसे-तैसे बचे। इसके बाद ग्रामीणों ने बैठक कर सुई-दवाई के साथ भगवान के शरण में भी जाने की बात तय की गई। फिर गांव के लोकेश श्रीवास्तव की राय पर लोगों ने सहमति दी और नीम के पेड़ के नीचे माता की मूर्ति स्थापित कर दी। सुबह-शाम आरती की जाने लगी।
इस अनोखे प्रयोग की बात जब इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुई, तो वहां पहुंचने वालों की संख्या बढ़ने लगी। वहां जाने पर लोगों को कोरोना से बचने का संदेश भी मिला। मंदिर के पास लिखा है कि मास्क लगाएं। मूर्ति को स्पर्श न करें। दूरी बनाए रखें। माता को केवल पीले पुष्प ही चढ़ाएं।
दर्शन से पूर्व मास्क लगाए, हाथ धोएं। सेल्फी लेते समय मूर्ति को न छुएं। गांव के राधेश्याम विश्वकर्मा, दीप माला श्रीवास्तव, राजीव रतन तिवारी, छेदीलाल दिलीप विश्वकर्मा समेत यहां दर्शन को आने वाले ग्रामीणों को विश्वास है कि पूजा-प्रार्थना करने से माता जी प्रसन्न होकर कोरोना की कालिमा को कम करेंगीं।
कोई आपदा आने पर देवी-देवता की शरण में लोग जाते ही हैं। इससे उनको आत्मिक शक्ति भी मिलती है। हर युग में महामारी आने पर पूजा व देवियों के प्रति आस्था का उल्लेख मिलता है।