Railway News : गोरखपुर । पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने इलेक्टि्रक इंजन से चलने वाली इंटरसिटी, दादर और देहरादून सहित 34 ट्रेनों से न सिर्फ एक-एक पावरकार हटा ली है, बल्कि 1054 सीटें बढ़ाकर डीजल बचाते हुए एक साल में 21 करोड़ की बचत भी कर ली गई है। ऐसा संभव हुआ है रेलवे की हेड आन जेनरेशन तकनीकी (एचओजी) से। पावरकार हटने से प्रत्येक ट्रेन में यात्रियों के लिए 31 सीटें अतिरिक्त मिल जाएंगी। इलेक्टि्रक इंजनों में एचओजी तकनीक लग जाने से लिंक हाफमैन बुश (एलएचबी) कोच से चलने वाली ट्रेनों में पावरकार की उपयोगिता खत्म हो गई है।
हालांकि, विकल्प के रूप में अभी भी एक-एक पावरकार लग रही हैं। आने वाले दिनों में सभी ट्रेनों से पावरकार पूरी तरह हटा दी जाएगी। ट्रेनों की रेक से पावरकार हटने से आम यात्री ही नहीं रेलवे को भी सीधा लाभ मिल रहा है। ट्रेनों में इंजन के ठीक पीछे पावर कार की जगह एलएसएलआरडी (लगेज कम सवारी यान) कोच लगने लगे हैं। इन कोचों में एचओजी तकनीक लगने के अलावा चार टन पार्सल रखने की जगह और यात्रियों के लिए सीटें भी मिल जा रही है।
पूर्वोत्तर रेलवे की 70 फीसद से अधिक रेल लाइनों का विद्युतीकरण हो चुका है। अधिकतर ट्रेनें इलेक्टि्रक इंजन से चल रही हैं। इन ट्रेनों को एचओजी तकनीकी से चलाया जा रहा है, जिससे पावरकार की आवश्यकता नहीं रह गई है। हालांकि, एक पावरकार अभी भी विकल्प के रूप में ट्रेनों लग रही हैं।