Gorakhpur News : गोरखपुर । क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी) कोरोना रोधी वैक्सीन लगवा चुके तीन समूहों के नमूनों का तुलनात्मक अध्ययन करेगा। एक-एक समूह कोवैक्सीन और कोविशील्ड की दोनों डोज ले चुके व्यक्तियों का होगा, जबकि तीसरा समूह उन व्यक्तियों का होगा, जिन्हें गलती से पहली डोज कोविशील्ड और दूसरी डोज कोवैक्सीन की लग गई है। तीनों समूहों में एंटीबाडी बनने और उनके सक्रिय रहने के समयकाल की जांच की जाएगी, इसलिए नियमित अंतराल पर चार-चार नमूने लिए जाएंगे। यूं तो उत्तर प्रदेश के वैक्सीनेशन अभियान में अभी कोविशील्ड व कोवैक्सीन ही लग रही है, लेकिन एक समूह काकटेल डोज वाले व्यक्तियों का बन गया है।
इस समूह में वह 20 व्यक्ति शामिल हैं, जिन्हें सिद्धार्थनगर में पहली डोज कोविशील्ड और दूसरी कोवैक्सीन की लगा दी गई थी। आरएमआरसी ने इन सभी के दो-दो नमूने लेकर पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी (एनआइवी) को भेजा है, जहां एंटीबाडी बनने को लेकर अध्ययन शुरू हो गया है। इन सभी का पहला नमूना चार जून और दूसरा 11 जून को लिया गया था। अब कोवैक्सीन और कोविशील्ड वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके 40-40 व्यक्तियों का नमूना लिया जाएगा। तीन समूहों में शामिल इन 100 व्यक्तियों का नमूना चार बार लिया जाएगा।

पहला नमूना वैक्सीन की दूसरी डोज लेने के 45 दिन, दूसरा 90 दिन, तीसरा 180 दिन और चौथा 365 दिन बाद लिया जाएगा। इन नमूनों से जांच की जाएगी कि टीकाकरण पूरा होने के कितने दिन बाद और कितनी मात्रा में एंटीबाडी बन रही है। वह कितने दिन तक सक्रिय रही। समय बीतने पर क्या बदलाव आ रहे हैं। जिन व्यक्तियों का नमूना लिया जाएगा, उनके खान-पान व रहन-सहन को भी अध्ययन में शामिल किया जाएगा।

इससे यह पता चलेगा कि एंटीबाडी बनने में जीवनशैली, नशा, शाकाहार और मांसाहार का क्या असर पड़ रहा है। तीनों समूहों के नमूनों का अध्ययन करने की तैयारी शुरू हो चुकी है। सिद्धार्थनगर में हुई गलती ने काकटेल डोज पर अध्ययन करने का मौका दिया है। कोविशील्ड व कोवैक्सीन की दो-दो डोज लेने वाले व्यक्तियों के भी नमूने जल्द लिए जाएंगे।