Chandigarh News : चंडीगढ़ । फसल खरीद के सीधे भुगतान के बाद केंद्र सरकार अब बिजली सब्सिडी भी किसानों के खाते में सीधे डलवाने की तैयारी में है। दरअसल, राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार से अतिरिक्त कर्ज लेने की मंजूरी मांगी थी, जिसके बदले केंद्र सरकार ने बिजली सुधारों की शर्त रख दी है। केंद्र ने कहा कि अगर किसानों के खाते में बिजली सब्सिडी डाली जाती है तो राज्य अपने कुल घरेलू सकल उत्पाद का 0.5 फीसद अतिरिक्त कर्ज ले सकेंगे। पंजाब अगर ऐसा कर लेता है तो वह 3,200 करोड़ रुपये अतिरिक्त कर्ज ले सकेगा।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के 22 पन्नों के पत्र में अगले पांच साल के लिए सुधारों का पूरा ब्यौरा दिया है। सुधार करने पर राज्यों को अंक मिलेंगे और इन्हीं के आधार पर कर्ज की सीमा तय होगी। केंद्र की पहली शर्त यही है कि किसानों की बिजली सब्सिडी बंद की जाए। पंजाब को प्रति ट्यूबवेल बिजली सब्सिडी किसानों के खाते में डालने का विकल्प दिया गया है। इसके बदले सभी ट्यूबवेलों पर मीटर लगाए जाने की बात कही गई है। किसानों को औसत से कम बिजली खपत करने पर नकद इंसेंटिव देने का प्रस्ताव भी इस योजना में है।
इस योजना के तहत अगर कोई राज्य सरकार बिजली सुधार करके 15 अंक लेती है तो 0.35 फीसद और 30 अंक लेती है तो 0.5 फीसद अतिरिक्त कर्ज ले सकेगी। यह शर्त केवल 2021-22 के लिए है। अगर किसी भी सरकारी विभाग आदि का कोई बिजली बिल बकाया नहीं होगा तो उसके पांच अंक दिए जाएंगे। बिजली वितरण निजी कंपनियों को देने पर 25 अंक, स्मार्ट ग्रिड, प्रीपेड मीटरिंग जैसे कदम उठाने पर 25 बोनस अंक राज्यों को मिलेंगे। बिजली वितरण का काम निजी कंपनियों को देने पर 25 अंक मिलेंगे। इसके लिए 31 दिसंबर, 2022 तक का समय मिलेगा।
पंजाब में 14.5 लाख ट्यूबवेल हैं। इनमें से ज्यादातर 25 एकड़ से अधिक जमीन वाले 59 हजार किसानों के पास हैं। राज्य सरकार की ओर से किसानों को 7,180 करोड़ रुपये बिजली सब्सिडी दी जाती है। अगर ट्यूबवेल में मीटर लगे तो पता चल जाएगा कि एक परिवार को कुल कितनी सब्सिडी जाती है। पंजाब में इस साल सब्सिडी की राशि 10,621 करोड़ रुपये है। जो पंजाब के कुल बजट का नौ फीसद है।