जबलपुर : मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर से तकरीबन 40 किमी दूर चरगवां क्षेत्र के एक फार्म हाउस के आम इन दिनों चर्चा में हैं। फार्म हाउस के मालिक संकल्प परिहार का दावा है कि इस आम की कीमत दो लाख 70 हजार रुपये प्रति किलो तक हो सकती है।
इस महंगी वैरायटी को ताईयो नो तमागो के नाम से जाना जाता है। यह मूलत: जापान में पाई जाती है। वहीं, जवाहरलाल कृषि विवि, जबलपुर के हार्टिकल्चर विज्ञानी प्रो एसके पांडे फार्म में लगे आमों को देखने के बाद संकल्प के दावों को खारिज कर रहे हैं।
उनका कहना है कि डीएनए के मिलान के बाद ही इसकी सत्यता प्रमाणित की जा सकती है। बहरहाल दावे की सत्यता जब सामने आएगी, तब आएगी, अभी तो इस आम की रखवाली की व्यवस्था भी चर्चा में है।
इसके पेड़ों की रखवाली के लिए संकल्प ने तीन गार्ड नियुक्त किए हैं और नौ कुत्ते पाले हैं। संकल्प का कहना है कि वे तीन साल पहले चेन्नई की एक नर्सरी से कई किस्मों के आम के लगभग 100 पौधे लाए थे। उनमें 52 पौधे ताईयो नो तमागो किस्म के थे। पिछले साल आम आने शुरू हुए।
गूगल से आम की किस्म का पता लगने के बाद उन्हें इसकी कीमत का अंदाजा हुआ और उन्होंने सुरक्षा की व्यवस्था की। कृषि विज्ञानी सहमत नहीं संकल्प के फार्म में लगे दुनिया के सबसे महंगे आम पर कृषि विज्ञानियों की अलग राय है। प्रो एसके पांडे ने बताया कि देश में 1200 किस्म के आम होते हैं।
यह आम ताईयो नो तमागो किस्म का ही है, यह नहीं कहा जा सकता, जब तक कि डीएनए से मिलान न हो जाए। फार्म मालिक को इसकी किस्म के बारे में पता ही नहीं है और न ही उसने पौधे अधिकृत नर्सरी से लिए हैं। चेन्नई में कई नर्सरी संचालक, कई किस्मों को मिलाकर नई किस्म तैयार करते हैं, जिससे यह पता लगाना संभव नहीं होता है असल किस्म कौन सी है।
अन्य देशों से पौधे लाने की है व्यापक प्रक्रिया कृषि मंत्रालय, भारत सरकार के बागवानी विभाग के अपर आयुक्त डॉ नवीन पटले ने बताया कि अन्य देशों से पौधे या बागवानी से जुड़ी सामग्री लाने की पूरी प्रक्रिया है, जिसमें परीक्षण कमेटी होती है।
आवेदन के बाद कमेटी ही यह तय करती है कि जो पौधा अन्य देश से यहां लाया जा रहा है, वह देश के लिए उपयुक्त है या नहीं। प्रक्रिया का पालन किए बिना अन्य देश से पौधे, बीज लाना अनधिकृत है