गाजियाबाद : गाजियाबाद जिले के लोनी में बीते पांच जून को बुजुर्ग की पिटाई का वीडियो वायरल होने के प्रकरण में पुलिस ने ट्विटर को नोटिस भेज दिया है, लेकिन अन्य आरोपितों का पता नहीं निकाल सकी है। तीन दिन बाद भी आरोपितों का पता न लगा पाने से पुलिस की कार्यशैली कठघरे में है।
गाजियाबाद के लोनी में बुजुर्ग की पिटाई का वीडियो वायरल हुआ था। लेकिन, बुजुर्ग की पिटाई और दाढ़ी काटने के वीडियो को गलत टिप्पणी के साथ ट्विटर पर वायरल करने के आरोप में पुलिस ने ट्विटर की दो कंपनियों, कांग्रेस नेता सलमान निजामी, शमा मोहम्मद, मसकूर उस्मानी, पत्रकार मोहम्मद जुबैर, राणा अय्यूब, सबा नकवी, आनलाइन पोर्टल द वायर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी।
पुलिस ने एफआइआर दर्ज होने के तीन दिन बाद ट्विटर को नोटिस दिया है, लेकिन कांग्रेस नेताओं और पत्रकारों के निवास का पता नहीं निकाल सकी है। इससे पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि पुलिस क्षेत्राधिकारी अतुल कुमार सोनकर ने बताया कि सभी आरोपितों के एड्रेस खंगाले जा रहे हैं। जल्द ही नोटिस भेजकर संबंधित कार्रवाई की जाएगी।
उम्मेद ने कोशिश की थी सांप्रदायिक रंग देने की बुजुर्ग अब्दुल समद के साथ हुई मारपीट के मामले को सांप्रदायिक रंग देने की साजिश रचने वालों के तार साहिबाबाद के शहीदनगर से जुड़े हैं। मामले के आरोपित समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश सचिव उम्मेद पहलवान को यहीं के लोगों ने घटना की जानकारी दी थी। अब्दुल समद पांच जून को अनूपशहर बुलंदशहर से साहिबाबाद के शहीदनगर आया था।
यहां कुछ लोगों से मिलने के बाद दोपहर ढाई बजे लोनी के लिए निकला था। लोनी में उसके साथ मारपीट की घटना हुई थी। सात जून को उम्मेद पहलवान को शहीदनगर के लोगों ने इस घटना की जानकारी दी थी। पुलिस मान रही है कि उसी समय उम्मेद ने इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश शुरू कर दी थी।
उसने अब्दुल समद को साथ लेकर शाम चार बजे फेसबुक लाइव किया था। उसमें भड़काऊ बयान देकर माहौल बिगाड़ने की पुरजोर कोशिश की थी। करीब 30 मिनट के लाइव वीडियो को 22 सौ लोगों ने साझा किया, 18 सौ प्रतिक्रियाएं आईं। उसमें से ज्यादातर प्रतिक्रियाएं भड़काऊ हैं। पुलिस क्षेत्राधिकारी साहिबाबाद आलोक दुबे ने बताया कि लोनी बार्डर पुलिस इस मामले में साक्ष्य जुटा रही है। उम्मेद पहलवान और अब्दुल समद के हर कदम पर खुफिया विभाग की नजर है।