कांगड़ : हिमाचल के रुलेहड़ में भूस्खलन की चपेट में आए लोगों में से एक आठ साल की बच्ची वंशिका की समझदारी ने पूरे परिवार को बचा लिया। हालांकि बच्ची अभी पीजीआइ चंडीगढ़ में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही है।
वंशिका चौथी कक्षा की छात्रा है। वैसे तो वंशिका का परिवार मूल रूप से जिला चंबा के सिहुंता निवासी है।
वंशिका केपिता लेंको हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में कार्यरत हैं। इसलिए वह यहां किराये के मकान में रहते हैं। आजकल वह गांव में आए हुए हैं। सोमवार सुबह करीब साढ़े 10 बजे भूस्खलन हुआ और इसकी चपेट में 15 लोग आ गए थे।
मलबे में आठ वर्षीय वंशिका, उसके पिता, मां और डेढ़ साल का भाई भी दब गया था। मासूम का चेहरा मकान की दीवार की ओर था और इस कारण वह होश में थी।
उस समय उसके हाथ में मोबाइल फोन था। बच्ची ने मोबाइल से अपने अध्यापक सुरेंद्र कुमार को फोन किया और बताया कि उनका परिवार मलबे में दब गया है। बच्ची की बात सुनकर अध्यापक सुरेंद्र कुमार ने संपर्क बनाए रखा।
बाद में अध्यापक ने स्थानीय लोगों की सहायता से घर की छत पर छेद कर सबको बारी-बारी बाहर निकाला। बच्ची के पिता सिविल अस्पताल शाहपुर में भर्ती हैं।
इसके बाद बच्ची को सिविल अस्पताल शाहपुर अस्पताल लाया गया, लेकिन प्राथमिक उपचार के बाद डाक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज एवं अस्पताल टांडा रेफर कर दिया।
बाद में बच्ची को पीजीआइ चंडीगढ़ रेफर कर दिया है और वहां उसकी हालत गंभीर है। बच्ची की मां और भाई भी अस्पताल में उपचाराधीन हैं।