उदयपुर : हल्दीघाटी में लगी उन सभी विवादास्पद पट्टिकाओं (बोर्ड) को हटाया जाएगा, जिसमें महाराणा प्रताप के द्वारा हल्दीघाटी के युद्ध में कदम पीछे खींचे जाने की गलत जानकारी दी गई है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की ओर से नई जानकारी के साथ पट्टिकाएं लगवाई जाएंगी। इसमें स्पष्ट उल्लेख होगा कि हल्दीघाटी का युद्ध निर्णायक रहा था।
इसमें मुगल शासक अकबर की सेना को कदम पीछे हटाने पड़े थे। यानी हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप की जीत और अकबर की हार हुई थी। एएसआइ जोधपुर सर्किल के अधीक्षक बिपिन चंद्र नेगी ने बताया कि रक्ततलाई और बादशाही बाग में हल्दीघाटी युद्ध से संबंधित कई शिलापट्ट लगे हैं।
इनको राजस्थान पर्यटन निगम की ओर से करीब चालीस साल पहले लगाया गया था। इन सभी पट्टिकाओं को हटाने के आदेश दिए गए हैं। हालांकि, इस ओर कदम उठाने से पहले इससे जुडे़ सही तथ्यों का सत्यापन किया जाएगा।
गौरतलब है कि पिछली सदी के सातवें दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हल्दीघाटी का दौरा किया था तब राजस्थान पर्यटन निगम की पट्टिकाओं में लिखा गया था कि इस युद्ध में महाराणा प्रताप की सेना को पीछे हटना पड़ा था।
इतिहासकार ने पकड़ी गलती हल्दीघाटी का युद्ध निर्णायक था। इसको लेकर उदयपुर के इतिहासकार प्रो. चंद्रशेखर शर्मा ने शोध के जरिये प्रमाणित किया है। उनके शोध के मुताबिक हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप विजयी रहे थे।
अपने तर्क के रूप में वह कहते हैं कि हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून, 1576 को शुरू हुआ था, जबकि पर्यटन निगम की ओर से लगवाई गई पट्टिकाओं में 21 जून का जिक्र है। इससे ही साबित होता है कि उनकी ओर से दी गई जानकारी गलत है।
दीया कुमारी और राजपूत संगठनों ने की थी पहल राजसमंद की सांसद दीया कुमारी ने पट्टिकाओं की गलत जानकारी की ओर ध्यान खींचा था।
इसको लेकर गत 19 जून, 2021 को वह पहले केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल से मिली थीं और बाद में उन्होंने तत्कालीन केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल से मिलकर यह मुद्दा उठाया था। राजसमंद की विधायक दीप्ती माहेश्वरी और सूबे के राजपूत संगठनों ने भी इस संबंध में केंद्रीय मंत्री को भेजे पत्र में एएसआइ को उचित कदम उठाने के लिए आदेश जारी किए जाने का आग्रह किया था। इसी मामले में मेघवाल ने एएसआइ को कार्रवाई के लिए आदेश दिए थे।
अब तक गलत पढ़ाया जा रहा, सुधार की जरूरत इतिहास की पुस्तकों में हल्दीघाटी का जिक्र है, लेकिन इसे गलत ही पढ़ाया जाता रहा है। इस मामले में सुधार के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के नेता एकमत हैं।
उदयपुर के प्रभारी एवं अशोक गहलोत सरकार में परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास का कहना है कि इतिहास से छेड़छाड़ करने वाली पुस्तकों को बच्चों तक पहुंचने नहीं देंगे।
महाराणा प्रताप के वंशज एवं पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ का कहना है कि अपमान बर्दाश्त से बाहर है। राजसमंद की सांसद दीयाकुमारी का कहना है कि इतिहासकारों ने स्कूली पाठ्यक्रम में छेड़छाड़ कर हल्दीघाटी ही नहीं, बल्कि महाराणा प्रताप का भी अपमान किया है।
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी इतिहास की सच्चाई सामने लाने तथा बच्चों को सही पढ़ाए जाने की बात कहते हैं। उक्त सभी नेताओं का एकस्वर में कहना है कि लोगों को दी जा रही गलत जानकारी में सुधार की जरूरत है।