कोलकाता : बंगाल सरकार ने विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा के मामलों में कलकत्ता हाई कोर्ट के समक्ष 95 पृष्ठ का हलफनामा प्रस्तुत किया। इस हलफनामे में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की रिपोर्ट के निष्कर्षों का बिंदु-दर-बिंदु खंडन किया गया है। हलफनामे में कहा है कि रिपोर्ट पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है।
इसके साथ ही यह भी कहा है कि विधानसभा चुनाव के बाद बंगाल में राजनीतिक हिंसा की घटना नहीं हुई है। हिंसा से जुड़े आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। विद्वेष की भावना से राज्य सरकार के खिलाफ रिपोर्ट पेश की गई है।
मामले की सुनवाई बुधवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल सहित पांच जजों की बेंच के सामने होगी।
बता दें कि चुनाव के बाद हिंसा पर विभिन्न याचिकाओं पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने बंगाल सरकार सहित सभी पक्षों को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट पर 26 जुलाई तक हलफनामा जमा देने का निर्देश दिया था।
सरकार ने कहा था, एनएचआरसी की रिपोर्ट में है अनेक विसंगतियां : इससे पहले पांच जजों की पीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि चुनाव बाद हिंसा पर हाई कोर्ट को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट में अनेक विसंगतियां हैं। रिपोर्ट में चुनाव के पहले हिंसा की घटनाओं का जिक्र किया गया है।
एनएचआरसी ने बंगाल सरकार की कड़ी आलोचना की थी : गौरतलब है कि 13 जुलाई को एनएचआरसी ने 2021 के विधानसभा चुनावों के परिणामस्वरूप राज्य में चुनाव के बाद हिंसा के आरोपों की जांच करते हुए हाई कोर्ट को 50 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी थी।
अंतिम जांच रिपोर्ट में राज्य प्रशासन की कड़ी आलोचना की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि राज्य प्रशासन ने जनता में अपना विश्वास खो दिया है। बंगाल में कानून का राज नहीं है बल्कि यहां शासक का कानून चल रहा है