पटना : कोरोना मुक्त होने के लंबे समय बाद भी पोस्ट कोविड दुष्प्रभाव पीछा नहीं छोड़ रहा है। तनाव, कमजोरी, मधुमेह जैसे रोगों के बाद अब कोरोना से मुक्त हुए 85 फीसद लोग बाल टूटने की समस्या से परेशान हैं। महिला व पुरुष, दोनों में यह समस्या है।
विशेषज्ञ बाल वापसी के लिए चार से छह माह तक दवा और उससे लाभ न होने पर पीआरपी प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा थेरेपी कर रहे हैं। ब्लड सकुर्लेशन व क्लाटिंग प्रमुख कारण : पटना के चर्म रोग विशेषज्ञ डा. सुधांशु सिंह ने बताया कि बारिश में पहले भी बाल टूटने के मरीज आते थे, लेकिन कोरोना मुक्त हुए लोगों में यह समस्या तेजी से बढ़ी है।
क्लीनिकली स्टडी में इसका मुख्य कारण ब्लड सकुर्लेशन प्रभावित होना व ब्लड क्लाटिंग की समस्या बढ़ना माना जा रहा है। रक्त संचरण प्रभावित होने से बालों को पर्याप्त मात्रा में पोषण नहीं मिलता है। सामान्य तौर पर जहां प्रतिदिन सौ से डेढ़ सौ बाल टूटते हैं, उनकी संख्या चार से पांच गुना अधिक हो जाती है।
इसके अन्य कारणों में कोरोना संक्रमण के बाद रोगी का अवसाद में जाना, तनाव बढ़ना, अनिद्रा, अत्यधिक कमजोरी, भूख कम होने से पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक आहार नहीं लेना और कुछ हद तक अधिक क्षमता की एंटीबायोटिक लेने से शरीर के मेटाबालिज्म सिस्टम गड़बड़ाने को भी माना जाता है। इन कारणों को आधार बनाकर इलाज किया जा रहा है।
लेकिन कारणों व निदान पर अभी वैज्ञानिक अध्ययन होना शेष है। उच्च प्रोटीन युक्त भोजन से कम हो सकती समस्या : चिकित्सकों का कहना है मजबूत बालों के लिए बायोटीन प्रोटीन, बीटा कैरोटिन, कैल्शियम पैंथोनेट, प्रोपलीन, विटामिन सी, फालिक एसिड, आयरन, ओमेगा थ्री फैटी एसिड, विटामिन ए व ई आदि माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की जरूरत होती है।
कोरोना मुक्त हुए लोग तनाव, अवसाद व भूख आदि नहीं लगने से पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक आहार नहीं लेते हैं। ऐसे में उनके बाल कमजोर होने लगते हैं और गिरता है। ऐसे में जरूरी है कि उच्च प्रोटीन वाले आहार जैसे दालें, मांस, सोयाबीन, अखरोट, पालक, गाजर, शकरकंद आदि का सेवन अधिक करना चाहिए। एंटीबायोटिक का दुष्प्रभाव कम करने के लिए पानी व अन्य पेय पदार्थ का अधिक सेवन भी उपयोगी होता है। काफी
महंगा है उपचार : पौष्टिक आहार से यदि बाल टूटने की समस्या से निजात नहीं मिलती है तो यह आपको मोटी चपत लगा सकता है। बालों को उगाने के लिए चार से छह माह तक माइक्रोन्यूट्रिएंट्स वाली दवाएं, तेल व शैंपू का इस्तेमाल किया जाता है। इनकी कीमत काफी अधिक है। आराम नहीं होने पर प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा को सिर के स्कैल्प पर इंजेक्शन से डाला जाता है। इसे रोगी के खून को ही सेंट्रीफ्यूज कर तैयार किया जाता है।