नीरज चोपड़ा को छह करोड़ व बजरंग को 2.5 करोड़, हरियाणा सरकार ने खिलाडि़याें के लिए खोले खजाने के द्वार

नई दिल्ली : टोक्यो ओलिंपिक में पदकों की उपलब्धि में हरियाणा के खिलाड़ी काफी आगे रहे हैं। 127 सदस्यीय भारतीय दल में सबसे ज्यादा 31 खिलाड़ी हरियाणा के थे, जिन्होंने आठ प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया।

देश को मिले सात पदकों में व्यक्तिगत स्पर्धा में तीन पदक हरियाणा के खिलाड़ियों ने जीते। एकमात्र स्वर्ण पदक भी इसी राज्य के नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में जीता है। पुरुष हाकी टीम में दो खिलाड़ी सुरेंद्र सिंह और सुमित कुमार हैं तो महिला टीम की सात खिलाड़ी यहां से हैं।

इस शानदार प्रदर्शन के पीछे खिलाड़ियों की मेहनत व समर्पण के साथ-साथ उन्हें प्रोत्साहित करने वाली हरियाणा की खेल नीति को अहम माना जा रहा है। ओलिंपिक में यहां के खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन के बाद राज्य की खेल प्रोत्साहन नीति चर्चा में है।

खेल विशेषज्ञ भी मानते हैं कि यह नीति दूसरे राज्यों के लिए नजीर बनेगी। राज्य के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला मानते हैं कि इस उपलब्धि में राज्य की खेल प्रोत्साहन नीति एक बड़ा कारक है।

वह यहां तक कहते हैं कि खेलों को आगे बढ़ाने के लिए हरियाणा जैसी नीति केंद्रीय स्तर पर भी बननी चाहिए। हम केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के समक्ष भी यह प्रस्ताव रखेंगे।

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रोहतक से भाजपा सांसद अरविंद शर्मा कहते हैं कि हरियाणा की खेल प्रोत्साहन नीति खिलाड़ियों के लिए काफी सार्थक साबित हो रही है। हम चाहते हैं कि इस तरह की नीति केंद्रीय स्तर पर बने। संसद के मानसून सत्र में हम इस विषय को अवश्य उठाएंगे।

खेल में प्रदर्शन के आधार पर मिलती हैं सरकारी नौकरियां हरियाणा में गत वर्ष खेल बजट में 202 फीसद की बढ़ोतरी की गई।

ओलिंपिक, पैरा ओलिंपिक, यूथ ओलिंपिक, चार वर्ष में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप, एशियन गेम्स, पैरा एशियन, यूथ एशियन गेम्स, कामनवेल्थ गेम्स, कामनवेल्थ गेम्स (पैरा एथलीट) के पदक विजेताओं को नकद राशि के अलावा सरकारी नौकरी भी दी जाती है। खेल में उपलब्धि के आधार पर ग्रेड तय होता है। ए, बी, सी व डी ग्रेड के आधार पर खिलाड़ी विभिन्न ग्रुपों में नौकरी के योग्य होगा

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