इंदिरा गांधी के इस एक्ट का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं भाजपा के मुख्यमंत्री
इंदिरा गांधी के इस एक्ट का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं भाजपा के मुख्यमंत्री

भोपाल.  2017 के दौरान मध्यप्रदेश में ‘रासुका’ के तहत तीन सौ लोगों को हिरासत में लिया गया था। अगले साल 495 व्यक्ति इस कानून के तहत जेल में डाल दिए गए। इसी तरह उत्तरप्रदेश सरकार ने 2017 में 171 और 2018 में 167 व्यक्तियों को रासुका लगाकर हिरासत में ले लिया था। गत वर्ष देश में इसी कानून के तहत 489 लोगों को हिरासत में रखा गया था।

गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री जी.किशन रेड्डी ने संसद के पिछले सत्र में कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम को निरस्त करने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं है। रेड्डी के मुताबिक, 2017 में मध्यप्रदेश सरकार ने रासुका के तहत 300 जीडी एंट्री दर्ज कर तीन सौ लोगों को हिरासत में लिया था। इनमें से उच्च न्यायालय के सलाहकार बोर्ड ने 133 लोगों को रिहा कर दिया।

इसी तरह 2018 में शिवराज सिंह सरकार ने इस कानून के तहत 495 लोगों को हिरासत में ले लिया। इन 313 लोगों को बोर्ड ने छोड़ने के आदेश जारी कर दिए थे। यूपी में 2017 के दौरान रासुका के तहत हिरासत में लिए गए 171 में से 93 लोगों को बोर्ड के हस्तक्षेप के बाद छोड़ दिया गया था। 2018 में बोर्ड द्वारा रिहा कराए गए लोगों की संख्या 57 थी। 2018 में TN में 15 लोगों को इस कानून की मदद से हिरासत में लिया गया था। हालांकि बोर्ड ने उन्हें 14 लोगों को छोड़ने के आदेश दिए थे।

Banner Ad

इसी दौरान त्रिपुरा में दो, नागालैंड में 17 और छत्तीसगढ़ में एक व्यक्ति के खिलाफ रासुका लगाया गया था। देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को मिलाकर देखें तो 2017 में 501 और 2018 में 697 लोगों को रासुका के तहत हिरासत में लिया गया था। इस साल यूपी में अगस्त तक 139 लोगों के खिलाफ रासुका लगाया गया था।

रासुका लाने का मकसद, देश की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को अधिक शक्ति प्रदान करना था। इस कानून की मदद से केंद्र व राज्य सरकारें किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में ले सकती हैं। यदि किसी सरकार को यह महसूस होता है कि कोई व्यक्ति कानून-व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने की प्रक्रिया में बाधा डाल रहा है तो उसे एनएसए के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है।

ऐसे व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक हिरासत में रखने में प्रावधान है। जब किसी व्यक्ति पर रासुका लगाया जाता है तो संबंधित राज्य सरकार, केंद्र को इंगित करती है कि फलां व्यक्ति को इस अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया है।

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत आरोप तय किए बिना ही व्यक्ति को 10 दिनों के लिए हिरासत में रखा जा सकता है। हालांकि उस व्यक्ति को उच्च न्यायालय के सलाहकार बोर्ड के समक्ष अपील करने का अधिकार प्रदान किया जाता है। इस कानून के तहत किसी व्यक्ति को पहली बार तीन महीने के लिए हिरासत में रखने का प्रावधान है। यह अवधि आगे तीन महीने तक बढ़ाई जा सकती है। यह एक साल तक बढ़ाने का नियम है। व्यक्ति को हिरासत में रखे जाने की रिपोर्ट सात दिन के भीतर केंद्र सरकार को भेजनी पड़ती है।

Share this with Your friends :

Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter