श्रीनगर : पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को एक बार फिर तालिबान की आड़ में केंद्र पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि हमारे सब्र का इम्तिहान मत लें। हमारे पास अफगानिस्तान की मिसाल है, जब तक आप लोगों के दिलो दिमाग को नहीं जीतोगे, फौज काम नहीं आती।
तालिबान ने अंतत: अमेरिका को अफगानिस्तान से भागने पर मजबूर कर दिया। महबूबा के बिगड़े बोल यहीं नहीं रुके, उन्होंेने कश्मीर और अफगानिस्तान के हालात की तुलना करते हुए बिना किसी का नाम लिए कहा कि जिस वक्त यह सब्र का बांध टूट जाएगा, तब आप नहीं रहोगे, मिट जाओगे। पड़ोस (अफगानिस्तान) में देखो क्या हो रहा है। उनको भी वहां से बोरिया-बिस्तर लेकर वापस जाना पड़ा।
आप के लिए अभी भी मौका है, जिस तरह वाजपेयी जी ने बातचीत शुरू की थी कश्मीर में, बाहर भी (पाकिस्तान के साथ) और यहां भी, उसी तरह आप भी बातचीत का सिलसिला शुरू करो। कुलगाम में पार्टी कार्यकर्ताओं की एक बैठक के बाद महबूबा ने कहा कि आज पूरी दुनिया तालिबान को देख रही है।
मैं तालिबान से आग्रह करती हूं कि वह इस्लाम के नाम पर कोई जुल्म न करें। अगर वह हिंसा का रवैया अपनाता है, जोर जबरदस्ती करता है तो पूरी दुनिया उसके खिलाफ होगी। अब तालिबान में बंदूक की भूमिका खत्म हो गई है और विश्व समुदाय यह देख रहा है कि आम लोगों के साथ उसका व्यवहार कैसा होगा।
अगर 1947 में भाजपा होती तो जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं होता : महबूबा ने एक और विवाद खड़ा करने का प्रयास करते हुए कहा कि अगर 1947 में भाजपा होती को जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं होता।
महबूबा ने कहा कि 1947 में जब कश्मीर का भारत में विलय हुआ था तो उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन नेतृत्व को यकीन दिलाते हुए कश्मीर के लोगों के साथ वादा किया था कि उनकी विशिष्ट राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान का संरक्षण किया जाएगा। इसलिए जम्मू-कश्मीर को भारतीय संविधान में एक विशेष दर्जा मिला था। अगर उस समय भाजपा सत्ता में होती तो जम्मू-कश्मीर आज भारत का हिस्सा नहीं होता।
अनुच्छेद-370 की पुनर्बहाली का राग अलापा : महबूबा ने अनुच्छेद-370 का राग अलापते हुए कहा कि अगर नई दिल्ली सही मायनों में जम्मू-कश्मीर में अमन चाहती है और कश्मीर मसले को हल करना चाहती है तो उसे अनुच्छेद-370 को फिर से बहाल करना होगा। सभी संबंधित पक्षों के साथ बातचीत की प्रक्रिया शुरू करनी होगी।
भाजपा पर ईडी और एनआइए का इस्तेमाल करने का आरोप : ईडी की पूछताछ संबंधी सवाल को टालत हुए महबूबा ने आरोप लगाया कि भाजपा इस समय ईडी और एनआइए जैसी संस्थाओं का इस्तेमाल अपने विरोधियों को दबाने और कश्मीर का सच दबाने के लिए कर रही है।
जनता से नकारी जा चुकीं महबूबा को आ रही तालिबान की याद : जम्मू-कश्मीर भाजपा के अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा कि भारत एक ताकतवर देश है। चाहे तालिबान हो, अलकायदा या पाकिस्तान समर्थित आतंकी, जो भी भारत के खिलाफ साजिश रचेगा, उसे मिट्टी में मिला दिया जाएगा।
हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी है, जो बाइडन नहीं। रैना ने कहा कि महबूबा की जमीन खिसक गई है, उन्हें जनता ने नकार दिया है। इसलिए महबूबा को तालिबान की याद आ रहा ही है। मैं पूछता हूं कि क्या महबूबा तालिबानी राज चाहती है। तालिबान ने अफगानिस्तान को बर्बाद कर दिया है।
तालिबान आतंकी महिलाओं की हत्याएं कर रहे हैं। क्या महबूबा तालिबान जैसा निजाम को चाहती हैं। महबूबा नफरत की राजनीति कर रही हैं। हमने तालिबान को साल 1990 में देखा है। किस तरह से हमारी पुलिस, सेना और सुरक्षा बलों ने तालिबानी का सफाया किया था। ये दुनिया ने देखा है।