तालिबान के आतंक के साए से निकलते ही खिले डरे हुए चेहरे, 89 उत्तराखंडी पहुंचे कजाकस्तान; जल्द लौटेंगे घर

देहरादून : अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तालिबानियों के आतंक से सहमे भारतीयों की हिम्मत बढ़ने लगी है। धीरे-धीरे भारतीय अपने वतन लौट रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या में उत्तराखंड के बाशिंदे भी शामिल हैं। शनिवार को भी काबुल से उड़ान भरते ही 89 उत्तराखंडियों की सांस में सांस आई।

हालांकि, अभी उनकी वतन वापसी नहीं हो पाई है, लेकिन काबुल से दूर उन्हें कजाखस्तान में उतारा गया है। जहां से उन्हें भारत के लिए रवाना किया जाएगा। उम्मीद है कि रविवार को दोपहर तक सभी उत्तराखंडी सकुशल अपने घर पहुंच जाएंगे।

कजाखस्तान में भारतीय राजनायकों ने सभी उत्तराखंडियों से मुलाकात की और उनका हालचाल जाना। साथ ही उन्हें सुरक्षित अपने-अपने घर पहुंचाने का भरोसा भी दिलाया। करीब पांच दिन से काबुल में एयरपोर्ट के इर्द-गिर्द भटक रहे 89 उत्तराखंडी अब सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

काबुल में खाने-पीने के संकट व तालिबानियों से बचने के संघर्ष के बीच उनके लिए पल-पल काटना भारी हो रहा था। सभी अपने-अपने स्तर से वतन वापसी की हर संभव कोशिश कर रहे थे। लगातार स्वजन से संपर्क कर उन्हें भी अपनी सलामती की खबर पहुंचा रहे थे। हालांकि, बीते दो दिन में उनकी उम्मीदें और हौसला दोनों पस्त होने लगे थे।

एयरपोर्ट में उन्हें प्रवेश तक नहीं दिया जा रहा था। इन उत्तराखंडियों में प्रेमनगर निवासी अमित चौहान के मित्र भी शामिल हैं। अमित ने बताया कि वह पिछले चार दिन से दिल्ली में डटे हुए हैं और विदेश मंत्रालय से हर जानकारी जुटा रहे हैं और अपने परिचितों को स्वदेश लाने का प्रयास कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि काबुल में उनकी अपने परिचितों से लगातार बात हो रही थी। इस दौरान उनके मित्रों ने उन्हें बताया कि यहां हालात बेहद खराब हैं। वे किसी तरह अपनी जान बचा कर छिपे हुए हैं। तीन दिन से नहीं आई नींद, भूख भी हुई गायब : काबुल में फंसे दून निवासी आकाश थापा ने कजाखस्तान पहुंचकर आपबीती सुनाई।

वाट्सएप काल के माध्यम से हुई बातचीत में उन्होंने ‘दैनिक जागरण’ को बताया कि काबुल में उनकी नींद उड़ी हुई थी। पिछले तीन दिन से वह जरा भी नहीं सो पाए और न ही उन्हें भूख लग रही थी। हर पल उन्हें तालिबानियों के आने का डर लगा रहता था। साथ ही एयरपोर्ट पर भी उनकी निगाहें दिनरात टिकी रहीं। उन्हें बस यही उम्मीद थी कि कब कोई भारतीय विमान उन्हें काबुल से बाहर ले जाएगा।

जैसे ही शनिवार को उन्हें काबुल से कजाखस्तान जा रहे विमान में कुछ भारतीय अधिकारियों ने बैठाया, तब जाकर उन्होंने राहत की सांस ली। काबुल में गोलियों की आवाज से लगा नहीं जा पाएंगे घर : अफगानिस्तान से अपने घर देहरादून लौटे राजू थापा ने कहा कि जब वह काबुल से घर के लिए आ रहे थे तो पास ही ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई जा रही थीं। ऐसे में कुछ समय के लिए तो लग नहीं रहा था कि वापस वतन लौटेंगे।

सभी लोग घबराए हुए थे और घर वापसी की दुआ मांग रहे थे। उन्होंने बताया कि वह काबुल में 2017 से सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर रहे थे। अंतिम बार वह बीते दिसंबर 2020 में दून आए थे। तकरीबन पांच दिनों तक सफर के बाद राजू थापा शनिवार को एयर इंडिया की फ्लाइट से सुबह नौ बजे जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचे। इसके बाद वह अपने घर नयागांव आ गए। –

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