इंदौर : मध्य प्रदेश राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे और बाद में फर्जी दस्तावेज से आइएएस बनने के आरोप में निलंबित किए गए संतोष वर्मा के मामले में सोमवार को इंदौर पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश कर दिया। चालान में पुलिस ने यह रहस्योद्घाटन किया कि बीते आठ माह में आरोपित संतोष वर्मा और जिला न्यायालय इंदौर के एक मजिस्ट्रेट ने एक-दूसरे को 144 बार फोन किए।
दोनों ने इस दौरान कुल 400 मिनट बातचीत की। वर्मा ने मजिस्ट्रेट को रुपये देने का दावा भी किया है। पुलिस ने आरोपित वर्मा और एक आइएएस के बीच हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग भी पेश की है। पूरी विवेचना में 34 लोगों को गवाह बनाया गया है। इनमें ज्यादातर कोर्टकर्मी और पुलिसवाले हैं।
इंदौर डीआइजी मनीष कपूरिया ने जांच अधिकारी बदल कर एसआइटी का गठन किया है। गौरतलब है कि आरोपित संतोष अभी जेल में बंद हैं। आरोप हैं कि राज्य प्रशासनिक सेवा का अधिकारी रहने केदौरान उन्होंने आइएएस अवार्ड लेने केलिए अपने खिलाफ कोर्ट में चल रहे एक मामले में खुद को बरी बताने केलिए विशेष न्यायाधीश (सीबीआइ एवं व्यापम) विजेंद्रसिंह रावत की कोर्ट का फर्जी फैसला तैयार कर लिया था। इस फैसले के आधार पर वर्मा ने आइएएस अवार्ड भी पा लिया था।
लेकिन, बाद में एक अन्य मामले की जांच केदौरान इस फर्जीवाड़े का भी पर्दाफाश हुआ और आरोपित वर्मा के खिलाफ जांच हुई और प्रकरण दर्ज हुआ। इसी मामले में सोमवार को जांच अधिकारी नगर पुलिस अधीक्षक (सीएसपी) हरीश मोटवानी ने उसके खिलाफ चालान पेश किया है।
चार्जशीट में एक आइएएस अधिकारी और वर्मा के बीच हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग भी लगाई गई है, जिसमें वर्मा जज को रुपये देने का दावा कर रहा है। चार मिनट 26 सेकंड की यह रिकॉर्डिंग वर्मा के मोबाइल के इंटरनल स्टोरेज में मिली है। पुलिस ने एक जज और वर्मा की कॉल डिटेल भी लगाई है। दोनों ने क्या बात की, इसका चार्जशीट में उल्लेख नहीं हुआ है।