लखनऊ : करीब तीन माह से चल रहा अटकलों का सिलसिला आखिरकार थम गया। सियासी गलियारों में तमाम नाम इतने समय तक तैरने के बाद भाजपा संगठन और सरकार ने चार ऐसे कार्यकर्ताओं के नाम विधान परिषद सदस्य के लिए चुने, जिनके सहारे विधानसभा चुनाव की रणनीति को चौतरफा साधने में मदद मिले।
अलग-अलग समीकरणों में माफिक बैठ रहे चौधरी वीरेंद्र सिंह गुर्जर, गोपाल अंदाज भुर्जी, जितिन प्रसाद और संजय निषाद को एमएलसी मनोनीत करने के लिए राज्यपाल को प्रस्ताव भेज दिया गया है। उत्तर प्रदेश विधान परिषद के चार मनोनीत सदस्यों का कार्यकाल पांच जुलाई, 2021 को खत्म हो गया था। उसी दिन से संभावित नामों को लेकर चर्चा और अटकलें शुरू हो गई थीं।
यह तय था कि भाजपा ऐसे ही चेहरों को विधान परिषद में भेजेगी, जो जातीय-क्षेत्रीय समीकरणों का संतुलन पूरा करते हुए आगामी विधानसभा चुनाव में भी पार्टी के लिए मददगार साबित हों। इनमें कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद का नाम शुरू से ही तय माना जा रहा था। यह संभावना भी मजबूत बनी रही कि इस ब्राह्मण चेहरे को एमएलसी बनाकर योगी मंत्रिमंडल में भी जगह दी जाएगी।
अंतत: दिल्ली से लखनऊ तक उनके नाम पर सहमति बन गई। भाजपा के सहयोगी दल निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोरखपुर निवासी डा. संजय निषाद को लेकर कई बार परिस्थितियां बनती-बिगड़ती दिखीं। पहले वह अपने पुत्र सांसद प्रवीण निषाद को मोदी मंत्रिमंडल में जगह दिलाना चाहते थे। पिछले दिनों हुए मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हें जगह न मिलने पर संजय निषाद ने नाराजगी जाहिर की।
दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ कई दौर की हुई बैठकों ने संभावना बनाई कि निषाद पार्टी अध्यक्ष को एमएलसी बनाकर योगी सरकार में मंत्री भी बनाया जा सकता है। लेकिन अंतत: समझौता एमएलसी पर ही तय हुआ। विपक्षी दल किसानों के मुद्दे पर भाजपा को घेरना चाहते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट और गुर्जर बिरादरी पर भाजपा की नजर थी।
इससे कयास थे कि इस वर्ग को साधने के लिए पश्चिम से किसी प्रभावशाली नेता को पार्टी एमएलसी बनाया जा सकता है। मार्च, 2019 में सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए विधायक वीरेंद्र सिंह गुर्जर पर पार्टी ने भरोसा जताया है। मूल रूप से शामली के कैराना निवासी गुर्जर का जाट बेल्ट में अच्छा प्रभाव माना जाता है।
जहां कृषि सुधार कानून विरोधी आंदोलन की ताप है, वहां इन्हें पसीना बहाकर ठंडक बढ़ाने के लिए लगाया जाएगा। इसी तरह पिछड़ों को अपनी चुनावी रणनीति में आगे लेकर चल रहे भगवा दल ने उप्र खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के उपाध्यक्ष गोपाल अंजान भुर्जी को भी विधान परिषद भेजने का निर्णय लिया है। मुरादाबाद निवासी गोपाल सहित पिछड़ा वर्ग से संजय निषाद और वीरेंद्र गुर्जर लिए गए हैं।