ममता सरकार ने राज्य में हुई हिंसा की सीबीआई जांच का किया विरोध, सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
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नई दिल्ली : बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा की जांच सीबीआइ को सौंपने के कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली ममता सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ, केंद्र सरकार और हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले लोगों को नोटिस जारी किया है।

शीर्ष अदालत ने याचिका पर प्रतिपक्षियों से जवाब मांगते हुए मामले को सात अक्टूबर को फिर सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस बारे में कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि दूसरे पक्ष को सुनने के बाद ही वह कोई आदेश देगा। बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी।

कलकत्ता हाई कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने हिंसा के दौरान हुई हत्याओं और दुष्कर्म के मामलों की जांच सीबीआइ को सौंप दी थी। बाकी हिंसा के मामलों की जांच एसआइटी को दी। ममता बनर्जी सरकार ने जांच सीबीआइ को देने के हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

इसने सुप्रीम कोर्ट से हाई कोर्ट का आदेश रद करने की मांग की है। मंगलवार को ममता सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति विनीत सरन और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने नोटिस जारी किया।

इससे पहले सिब्बल ने हाई कोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि उसने नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का पालन नहीं किया है। याचिका में लगाए गए आरोपों को तथ्य मानकर आदेश दे दिया और राज्य सरकार पर टिप्पणियां भी की हैं। सिब्बल ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की सात सदस्यीय कमेटी बनाई गई, जिसने रिपोर्ट सौंपी। उसी आधार पर हाई कोर्ट ने आदेश दे दिया।

कमेटी के सात सदस्यों में से तीन की निष्पक्षता को लेकर उन्हें आशंका है। हाई कोर्ट ने एनएचआरसी की अंतरिम रिपोर्ट की कापी भी राज्य सरकार को नहीं दी। फाइनल रिपोर्ट की प्रति राज्य सरकार को दी गई। राज्य सरकार ने चार दिन के अंदर ही उस पर हाई कोर्ट में जवाब दाखिल कर आपत्तियां उठाई थीं, लेकिन हाई कोर्ट ने उसकी दलीलों पर ध्यान नहीं दिया और आदेश दे दिया।

सिब्बल ने कहा कि हिंसा के मामलों में पुलिस ने सैकड़ों एफआइआर दर्ज की। लोग गिरफ्तार किए गए। कोर्ट ने सिब्बल की दलीलें सुनने के बाद नोटिस जारी करते हुए कहा कि वह जवाब दाखिल करने के लिए थोड़ा समय दे रहा है। मामले पर सात अक्टूबर को फिर सुनवाई होगी। इस पर सिब्बल ने कहा कि कोर्ट सीबीआइ द्वारा और एफआइआर दर्ज करने पर रोक लगा दे।

कोर्ट ने इससे इन्कार करते हुए कहा कि सिर्फ एक सप्ताह की बात है। तब तक कुछ नहीं होगा। सिब्बल ने कहा कि सीबीआइ मामले में पुलिस अधिकारियों को नोटिस जारी कर रही है। इस पर कोर्ट ने सिब्बल से कहा कि अभी आपने नैसर्गिक न्याय पर बहस की है। हम दूसरे पक्ष को सुने बगैर कोई आदेश जारी नहीं करेंगे। 

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