लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने जा रहे विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर कांग्रेस दोबारा खड़ा होना चाहती है। देश के सबसे बड़े राज्य की सत्ता पाने के लिए बेताब पार्टी हर संभव प्रयास में जुटी है। संगठन पर खूब पसीना बहाया गया है। जातिगत समीकरण साधने की जुगत चल रही है।
अब इस मिशन में केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा का साथ देने के लिए बतौर वरिष्ठ पर्यवेक्षक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लगाया है। गांधी-नेहरू परिवार की राजनीतिक धरती उत्तर प्रदेश ही शुरुआत से रहा है, लेकिन तीन दशक से पार्टी यहां लगातार कमजोर होती चली गई। यहां तक कि परिवार की पारंपरिक लोकसभा सीट अमेठी से 2019 के चुनाव में राहुल गांधी खुद हार गए। उस चुनाव में भी राष्ट्रीय महासचिव के रूप में प्रियंका गांधी वाड्रा ने यहां मेहनत की थी।
फिर जब 2017 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को करारी हार मिली। 403 में से पार्टी सिर्फ सात सीटें जीत सकी, तब पहली बार इस परिवार के किसी सदस्य ने प्रदेश की राजनीति में प्रत्यक्ष कदम रखा। प्रियंका ने प्रदेश प्रभारी के रूप में जिम्मेदारी संभाली और तब से यहां लगातार विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने में प्रयासरत हैं।
संगठन को वह अपने मुताबिक तैयार कर चुकी हैं और अब प्रदेश भर में चार प्रतिज्ञा यात्राएं निकालने की तैयारी है। अब इसके साथ ही कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने संगठन में अर्से तक काम कर चुके अनुभवी नेता भूपेश बघेल को वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाकर भेजा है। वह प्रियंका के साथ मिलकर चुनावी रणनीति पर काम करेंगे। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में हैट्रिक लगा चुकी भाजपा की रमन सिंह सरकार का विजय रथ जब कांग्रेस ने रोका, उसमें मुख्य भूमिका भूपेश की ही मानी जाती है।
उसी के फलस्वरूप उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया। उनके अनुभवों का लाभ पार्टी उत्तर प्रदेश में भी लेना चाहती है। अनुभवी-परिश्रमी होने के साथ ही वह पिछड़ा वर्ग से भी आते हैं। इस वर्ग की हिस्सेदारी प्रदेश की आबादी में सबसे अधिक है।


