मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को कहा कि आठ फरवरी को बकाया सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) को तय समय से पहले छुड़ाने के लिए 4,813 रुपये प्रति इकाई के हिसाब से भुगतान किया जाएगा। आरबीआई ने एक विज्ञप्ति में कहा,
“आठ फरवरी, 2022 को समय से पहले एसजीबी को छुड़ाने के लिए प्रति इकाई 4,813 रुपये का मोचन मूल्य होगा। यह मूल्य 31 जनवरी से चार फरवरी के बीच सोने के बंद भाव के औसत के आधार पर है।”
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) दरअसल सरकारी प्रतिभूतियां हैं और यह भौतिक सोना रखने का एक विकल्प हैं। बॉन्ड भारत सरकार की ओर से रिजर्व बैंक द्वारा जारी किया जाता है
SGB के फायदे
सॉवरन गोल्ड बॉन्ड के कई फायदे हैं. उस वक्त सोने की जो कीमतें रहती हैं, उसी कीमत पर एसजीबी में निवेश किया जाता है. सोने की कीमत पर अलग से 2.5 फीसदी का ब्याज दिया जाता है. इस हिसाब से यह फायदे का सौदा हो जाता है क्योंकि सोने की कीमतें हमेशा ऊंचाई पर रहती हैं.
एसजीबी में निवेश का दूसरा बड़ा फायदा जीएसटी चार्ज का नहीं लगना है. इसमें निवेश करने पर आपको जीएसटी नहीं देना पड़ता, मेकिंग चार्ज भी देने की जरूरत नहीं. फिजिकल गोल्ड खरीदने पर जीएसटी और मेकिंग चार्ज देना होता है.
8 वर्षों की मैच्योरिटी होती है
अगर गोल्ड बॉन्ड को 8 साल बाद भुनाते हैं तो रिडेम्प्शन या रीडीम पर कोई कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगेगा. सॉवरन गोल्ड बॉन्ड पूरी तरह से सुरक्षित होता है और इसके चोरी होने का खतरा नहीं होगा. सॉवरन गोल्ड बोन्ड को लोन लेने के लिए कोलैटरल के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं. सॉवरन गोल्ड बॉन्ड को सिक्योरिटी के तौर पर दिखाकर लोन लेना आसान है.
यह बॉन्ड 8 साल बाद मैच्योर होता है, हालांकि 5 साल बाद एग्जिट का विकल्प होता है. मैच्योरिटी से पहले बॉन्ड बेचने पर ट्रांजैक्शन चार्जेज ज्यादा हैं. कुल मिलाकर सोने में निवेश का यह शानदार विकल्प है. इसमें 24 कैरेट गोल्ड का सरकारी भरोसा होता है. सुरक्षा को लेकर चिंता नहीं है. मैच्योरिटी तक फिक्स्ड इंट्रेस्ट इनकम है और मैच्योरिटी हो जाने पर उस समय की कीमत के हिसाब से फायदा मिलेगा.