Datia News : दतिया। यूक्रेन की युद्ध विभीषका के बीच वहां से सकुशल घर लौटकर आए इंदरगढ़ निवासी भारत बघेल ने अपनी घर वापिसी पर खुशी जताते हुए सरकार के प्रयासों को सराहा। भारत बघेल इंदरगढ़ में रहने वाले मेडीकल संचालक डा.मुलायमसिंह बघेल के पुत्र हैं।
भारत कल ही रोमानिया से दिल्ली पहुंचा और वहां से सीधे घर के लिए रवाना हुआ। घर पहुंचते ही परिवार के सदस्यों ने उसे गले लगा लिया। इस मौके पर परिवार के सदस्यों की आंखें छलक रहीं थी। सभी भारत के सही सलामत घर लौटने पर काफी खुश थे। आस-पड़ौस के लोग भी भारत की कुशलक्षेम पूछने उसके घर पहुंचे।
यूक्रेन के हालातों के बारे में बताते हुए भारत ने कहाकि वहां हर रोज युद्ध तेज होता जा रहा है। वह यूक्रेन के शहर यूवानो फ्रेंसीस में थे, जो पौलेंड बार्डर के नजदीक है। वह यूवानो नेशनल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस के तृतीय वर्ष की पढ़ाई कर रहे थे।
युद्घ होने से पूर्व उनकी पढ़ाई ठीक चल रही थी, उनके साथ यूनिवर्सिटी में भारतीय मूल के 1800 छात्र अध्ययनरत थे। भारत ने बताया कि वैसे तो उनका शहर कीवी से करीब 800 किमी दूरी पर था। वहां क्रिटिकल कंडीशन तो नहीं थी लेकिन जब बमबारी हुई तो उनके एरिया में भी बम गिरे।
मिलेट्री का एयर स्पेस एरिया बिल्कुल तबाह हो गया था। इसे देखकर डर लगने लगा था। लेकिन यूनिवर्सिटी वाले भरोसा दिला रहे थे कि जिस एरिया में हम हैं वह पूरी तरह सेफ जोन में है। भारतीय दूतवास से एडवाइजरी की बात कही जा रही थी। हर रोज वह लोग किसी तरह घर वापिस लौटने के बारे में सोच रहे थे।
उन्हें सूचना मिल रही थी कि कीव में उनके दोस्तों को बंकर में शिफ्ट किया गया है। बमबारी के बाद वहां अफरा तफरी मच गई। लोग सामान की दुकानों से खाने पीने का सामान जुटाने में लग गए। एटीएम से भी कैश निकाले जाने लगा। हालात यह हो गए कि एटीएम में कैश निकालना तक बंद हो गया।
अपनी रिस्क पर रोमानिया तक आए
घर वापिस लौटे भारत ने बताया कि युद्ध के बाद से ही हम सभी छात्रों ने भारतीय दूतावास से संपर्क किया तो वहां से एडवाईज़री पर एडवाईज़री जारी की जाती रही। कोई ठोस कदम दूतावास ने समय रहते नहीं उठाया। इसके बाद हालात बिगड़ते देख उनके साथी करीब 80 छात्रों ने वहां से निकलने के लिए रिस्क उठाई।
इसके लिए उन्होंने दो बसों को किराए पर लिया और किसी तरह रोमानिया बार्डर तक पहुंचे। जहां कुछ संगठनों ने कैंप लगाए हुए थे। वहां उन्हें सभी सुविधाएं भी मिली।
इसके बाद रोमानिया से भारत सरकार ने उन्हें अपने देश में लेंड करवाया। भारत ने बताया कि यूक्रेन में मेडीकल पढ़ाई के खर्च कम हैं इसलिए हम वहां अध्ययन करने गए थे। अगर यह सुविधा हमारे देश में हो जाएं तो छात्रों को बाहर नहीं जाना पड़ेगा।
इंदरगढ़ के वार्ड क्रमांक 6 निवासी भारत के पिता डा.एमएस बघेल ने बताया कि यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद से वह लगातार फोन से अपने बेटे के संपर्क में रहे। उसके द्वारा बताया जा रहा था कि वह ठीक है। लेकिन हमें हर रोज यह सोचकर चिंता लगी रहती थी कि कहीं कोई अप्रिय घटना न हो जाए।
हजारों किमी दूर से उनके बेटे को घर सकुशल पहुंचाने में सरकार के प्रयास की भी उन्होंने सराहना की। उन्होंने कहाकि हम सरकार से अनुरोध करेंगे जो बच्चे और फंसे हैं उन्हें भी भारत लाने में मदद करें।