13 साल पहले घर से लापता हुआ कालेज का छात्र साधु के वेश में घर लौटा, पिता ने बेटे की वापिस की मांग रखी थी मन्नत

Datia news : दतिया। भांडेर अनुभाग के ग्राम सालोन ए में 13 साल पहले घर से लापता हुआ युवक जयपाल पुत्र महाराम पाल साधु के रुप में रविवार को जब अपने घर लौटा तो स्वजनों के साथ-साथ पड़ोसियों की भी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

जैसे-जैसे गांव के लोगों को युवक की वापिसी के बारे में पता चला, वह खुशी के साथ उसके घर जा पहुंचे। बड़ी संख्या में गांव के लोग महाराम पाल के घर मौजूद थे और सभी जयपाल से उसकी वेशभूषा बदल जाने को लेकर पूछतांछ कर रहे थे।

जयपाल के स्वजन ने बताया कि 12 दिसंबर 2008 को गांव के नजदीक भांडेर चिरगांव रोड पर स्थित केसरी हनुमान मंदिर पर तीन दिवसीय प्रवचन आयोजन के तहत उनका बेटा केसरी हनुमान मंदिर जाने की कहकर घर से निकला था और फिर घर नहीं लौटा। घर न लौटने के बाद उसको ढूंढने का अथक प्रयास किया गया।

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लेकिन जब कहीं पता नहीं लगा तो पुलिस में उसके गुमशुदा होने की जानकारी दी गई। इसके बाद भी उसकी तलाश जारी रही। लेकिन विफलता ही हाथ लगी। इस बीच जयपाल के पिता महाराम ने अपने पुत्र की वापिसी को लेकर बाल और दाढ़ी न काटने की मन्नत भी मांगी।

वर्षों बड़ी दाढ़ी और बाल के साथ कई साल गुजरे। लेकिन जब मन्नत पूरी नहीं हुई तो थक हारकर गत वर्ष ही उन्होंने बाल कटवा लिए। उसके बाद जयपाल की आकस्मिक घर वापिसी को उसके स्वजन किसी ईश्वरीय चमत्कार से कम नहीं मान रहे हैं।

स्नातक का छात्र साधु के वेश में लौटा

जयपाल अपने माता पिता की तीन संतानों, एक पुत्र तथा दो पुत्रियों में सबसे बड़ा है। वर्ष 2008 में वह स्नातक के प्रथम वर्ष में अध्ययनरत था और भांडेर में चिरगांव चुंगी के पास पंचर की दुकान संचालित करता था। जिस दिन वह लापता हुआ था उस दिन सालोन ए स्थित घर से वह साइकिल से ही केसरी हनुमान मंदिर होकर भांडेर जाने की बात कहकर निकला था।

13 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद 13 मार्च को जब वह लौटा तो उसने तो अपने स्वजन और कुछ पड़ोसियों को तत्काल पहचान लिया। लेकिन साधु वेश और कमजोर काया के चलते लोग उसे देखकर चकरा गए।

इस तरह हुई घर वापिसी

जयपाल के स्वजन ने उससे हुई बातचीत के आधार पर बताया कि उनके बेटे को इंदरगढ़ थाना क्षेत्र के ग्राम लक्ष्मणपुरा में मजदूर बनाकर रखा गया था। जहां उससे न केवल कमरतोड़ मेहनत करवाई गई, बल्कि इसके बदले उसे खाना भी पर्याप्त नहीं दिया।

लक्ष्मणपुरा में उसे जिस घर में उसे रखा गया उसके पड़ोसी ने किसी प्रकार जयपाल को वहां से निकलने में मदद की। लेकिन वहां से बाहर निकलने के दौरान जयपाल की मुलाकात एक साधु से हो गई। जो उसे उज्जैन ले गया। जयपाल ने अपनी आपबीती में बताया कि उसको साधु ने भी धोखा दिया और दो बार करंट के झटके दिए।

इससे उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ गई। साधुओं की संगत में रहने के कारण उसने चिलम और साधना भी सीख ली। ऐसी ही एक साधना की अंतिम आहूति के लिए जयपाल इन दिनों रतनगढ़ आया था।

जहां से उसके घर वापिसी का रास्ता तय हो सका। घर वापिस लौटने के बाद जयराम ने कई पुरानी बातें, अपने रिश्तेदारों के बारे जानकारी के साथ परिवार के लोगों के बारे में भी काफी कुछ बताया।

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