Gwalior News : ग्वालियर । ग्वालियर के डबरा क्षेत्र में 2 दिन पहले हुए एक ित्रयोदशी के आयोजन में रायता का सेवन करने वाले लोग अब अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंता में डूब गए है। दरअसल जिस भैंस के दूध से निकले मट्ठे से यह रायता तैयार किया गया था उसे पागल कुत्ते से काटा था और उसकी मौत हो गई है।
यह खबर सुनकर भोज में रायता पीने वाले ग्रामीणों की जान हलक में आ गई। फिर क्या था सभी अपने स्वास्थ्य की चिंता करने हुए रेबीज का इंजेक्शन लगवाने अस्पताल पहुंच गया।
यह अजीबो गरीब मामला डबरा के चांदपुर गांव का है। जहां 2 दिन पहले तेरहवीं भोज में करीब 700 लोगों ने खाने के साथ उन्हें परोसा गया रायता भी पिया था। लेकिन जिस भैंस के दूध (मट्ठा) से रायता तैयार किया गया था, उस भैंस की मौत कुत्ते के काटने से हो गई।
उसके बछड़े की भी मौत हो गई। जैसे हीभोज में शामिल होने वालों को इस बात की जानकारी लगी, वो घबरा गए। भोज में शामिल होने वाले करीब तीन सैकड़ा से अधिक लोग एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने के लिए जिला अस्पताल पहुंच गए। थोड़ी ही देर में अस्पताल में इंजेक्शन लगवाने के लिए ग्रामीणों की लंबी लाइन लग गई।
दतिया के पाली गांव से गया था मट्ठा
ग्रामीण श्यामलाल ने बताया कि चांदपुर गांव में तेरहवीं का कार्यक्रम था। इसमें दतिया ज़िले के पाली गांव से मंगाए गए मट्ठा से रायता बनाया गया था। भोज में करीब 700 लोगों को रायता परोसा गया था।
भोज होने के बाद सूचना मिली कि जिस भैंस के दूध से मट्ठा और फिर रायता बना है उसकी मौत हो गई है। ग्रामीणों में कुत्ते के काटने से भैंस की मौत की खबर के बाद अफरा तफरी मच गई।
जिसके बाद ग्रामीण सिविल अस्पताल डबरा एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने पहुंच गए। ग्रामीणों का मनाना था कि जिस भैंस के दूध से बने मट्ठे का रायता उन्होंने पिया है, उससे कहीं उनकी सेहत न बिगड़ जाए।
रायते से रेबीज का खतरा नहीं
इस मामले में पशुपालन विभाग के चिकित्सकों का कहना है कि न तो अभी तक कहीं पढ़ा है, न ही देखा है कि कुत्ते के काटने से किसी भैंस की मौत के मामले में उसके दूध या दूध से बने दही या मट्ठा पीने से किसी को रेबीज का खतरा हुआ है। रेबीज सिर्फ किसी घाव, कट या चोट के रास्ते ही फैलता है।
इसलिए इस मामले में गांव के लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। फिर भी जब अस्पताल में इंजेक्शन लगाने से मना किया गया तो दहशत से भरे ग्रामीण एसडीएम के पास पहुंच गए।