Datia News : दतिया । जैन मुनिश्री विश्वलोचन सागर महाराज सोनागिर में 29 मार्च की रात्रि नहीं रहे। उनकी सल्लेखनापूर्वक समाधि बीस पंथी जैन धर्मशाला में हुई। गृहस्थ अवस्था को छुड़ाकर संसार मार्ग से वैराग्य मार्ग पर गणाचार्य आचार्यश्री विराग सागर महाराज से दीक्षित मुनिश्री विश्वलोचन सागर की 75 वर्ष की आयु में समाधिमरण हुआ।
मुनिश्री विश्वलोचन सागर महाराज की समाधि आचार्य विवेक सागर एवं मुनि विनय सागर व गणनी आर्यिका विभा के सानिध्य में हुई। इस दाैरान गाजेबाजों के साथ निकाली डोल विमान यात्रा को जैन श्रद्धालुओं ने नम आंखो से नमन किया। जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि बुधवार को मुनिश्री विश्वलोचन सागर महाराज की डोलयात्रा गाजेबाजे के साथ निकाली गई।
डोल यात्रा में जैन मुनि भी सम्मिलित रहे। मुनिश्री विश्वलोचन सागर महाराज को सजधजे डोल विमान में बैठाया गया था। विमानयात्रा में आचार्यश्री, मुनिश्री व आर्यिकाश्री ससंघ सहित भारी संख्या में महिला पुरुष शामिल रहे। डोल विमान शोभायात्रा बीसपंथी धर्मशाला से प्रारंभ होकर मुख्य मागों से होती हुई विशाल धर्मशाला के पास पहुंची।
यहां विधि विधान के साथ मुनिश्री के शरीर की मुखाग्नि संस्कार क्रिया उनके गृहस्थ परिवार के बेटे विनीश जैन, मनीष जैन ग्वालियर ने संपन्न की। उपस्थित जन समूह ने नारियल गोला चढाते हुए मुनिश्री के अंतिम दर्शन नमन किया।
मुनिश्री विश्वलोचन सागर महाराज का जन्म 1 जनवरी 1947 को जगसौरा, जिला इटावा उप्र में हुआ था। बीएससी स्नातक मुनिश्री का पूर्व नाम पं.रमेशचंद्र जैन था। उनका प्रथम ब्रत से समाधि तक कुल साधना समय 53 वर्ष का रहा।
समाधि की खबर सुनते ही पहुंचे श्रद्धालु
जैन मुनिश्री विश्वलोचन सागर महाराज की सल्लेखना समाधि की खबर मिलते ही जैन समाज के लोग उनके दर्शन को उमड़ पड़े। समाधि की खबर पर आसपास के क्षेत्र मगरोनी, डबरा, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी आदि जगहों से काफी संख्या से श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरु हो गया।
इस अवसर पर आचार्यश्री विवेक सागर महाराज ने संबोधित करते हुए कहाकि मानव जीवन मिला है तो इसका महत्व समझो, सांसरिक भोगों मे जीवन मत गंवाओ, मोह और परिग्रह का त्याग करो और आत्म कल्याण के मार्ग पर चलने का पुरूषार्थ करो। जब तुम मोह और परिग्रह को छोड दोगे तो फिर मौत भी मृत्यु महोत्सव बन जाएगी।