दतिया राजवंश में करोड़ों की संपत्ति की लड़ाई संपत्ति को लेकर बात धरना आंदोलन तक पहुंची
दतिया. राजवंश की लड़ाई अब सड़कों पर आ गई है। विधायक घनश्याम सिंह और उनके चचेरे भाई गिरीराज सिंह अब आमने-सामने की लड़ाई लड़ने के मूड में आ गए हैं। दतिया राजवंश की कुल 1600 करोड रुपये की संपत्ति का यह मामला अब लंबा चलेगा ऐसे अासार नजर आ रहे हैं । पुलिस ने दोनों ही पक्षों पर प्रकरण दर्ज कर लिया है।लखनऊ स्थित खुर्शीद बाग निवासी गिरिराज सिंह पुत्र स्वर्गीय केसर सिंह जो दतिया राजवंश के घनश्याम सिंह के चचेरे भाई हैं। इन दोनों में संपत्ति को लेकर विवाद तेज होने लगा है। दो दिन पूर्व घनश्याम सिंह ने दतिया के किले में अपनी चाची हेमलता और चचेरे भाई गिरिराज सिंह को किले में स्थित महल में इसलिए नहीं जाने दिया कि संपत्ति का बंटवारा हो चुका है। अब किले में गिरिराज सिंह और उनकी माता हेमलता का कोई दखल नहीं है। इसी बात को लेकर विवाद की शुरुआत हुई । पुलिस ने दोनों ही पक्षों पर मुकद्दमे कायम किए हैं। इधर घनश्याम सिंह के चचेरे भाई गिरिराज सिंह का कहना है कि अब जब तक उनकी वापसी किले स्थित महल में नहीं होगी, वहां पर परंपरागत रूप से दीपावली पूजन नहीं कर लेते, तब तक वे दतिया से नहीं जाएंगे और इसके लिए उन्हें धरना देना पड़ा तो वह अपने राजवंश के परिवार और रिश्तेदारों के साथ धरना आंदोलन भी करेंगे। उत्तर प्रदेश के बलरामपुर रियासत से संबंधित गिरिराज बताते हैं कि बलरामपुर हिज हाइनेस उनके पिता केसर सिंह के ननिहाल पक्ष वाले हैं, इसीके चलते उन्हें लखनऊ के खुर्शीद बाग क्षेत्र में बड़ी संपत्ति गिफ्ट की गई थी। इसके अलावा लगभग 100 एकड़ कृषि भूमि दतिया ग्रामीण क्षेत्र में हमें दी गई थी। दतिया किले में स्थित महल का एक भाग जिसमें हम लोग दतिया आने पर रुकते हैं, दिया गया था। गिरिराज सिंह का आरोप है कि इन सभी राज संपत्तियों को घनश्याम सिंह ने अपने नाम पर करवा लिया है। इसी विवाद के चलते उन्होंने दतिया की राजमाता हेमलता के साथ समर्थकों के माध्यम से मारपीट करवाई। अब गिरिराज सिंह का कहना है कि जब तक उन्हें महल में रहने वाला उनका हिस्सा फिर से नहीं मिल जाता, तब तक वे लखनऊ नहीं जाएंगे। राजवंश की परंपरा अनुसार दीपावली पूजन राज परिवार की परंपरा के अनुरूप हमें इसी महल में अपने हिस्से में करना है।

55 बीघा में फैला है दतिया किला परिसर

दतिया राजवंश का किला 55 बीघा में फैला हुआ है। यह शहर के बीचों बीच में है। इसकी अनुमानित लागत भी 500 से 700 करोड़ रुपये से कम नहीं है। इसी तरह दतिया राजवंश की एक और संपत्ति सेवढा में किला और कृषि भूमि है। यह किला भी लगभग 70 एकड़ में फैला हुआ है। दोनों ही परिवार इसे अपने हक का मान रहे हैं। इसके अलावा लगभग 500 एकड़ कृषि भूमि भी राज परिवार की संपत्ति बताई जाती है।यह है दतिया राज परिवार की वंशावली

दतिया महाराज बलभद्र सिंह के 5 पुत्र थे। इनमें सबसे बड़े कृष्ण सिंह, उसके बाद बलराम सिंह, तीसरे नंबर पर लक्ष्येश्वर सिंह, चौथे नंबर पर चंद्रभूषण सिंह और पांचवे तथा सबसे छोटे केसर सिंह हैं। राजवंश में संपत्ति की यह लड़ाई कृष्णसिंह के पुत्र घनश्याम सिंह और केसर सिंह के इकलौते पुत्र गिरिराज सिंह के मध्य चल रही है।

2019 में न्यायालय पहुंचा राजवंश संपत्ति का विवाद

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राजवंश संपत्ति का मामला 2019 में न्यायालय पहुंचा था। यह विवाद उस समय पैदा हुआ था, जब दतिया महाराज बलभद्र सिंह के सबसे छोटे बेटे केसर सिंह के पुत्र गिरिराज सिंह ने राजवंश की संपत्ति से अपने हिस्से की मांग की थी। बताया जाता है कि उनके पास दतिया के समीप लगभग 100 एकड़ जमीन थी । इस कृषि भूमि की पैदावार वही लेते थे, किंतु बाद में कुछ विवाद के चलते, यह संपत्ति भी विवादित हो गई। इसके बाद महारानी हेमलता और गिरिराज सिंह ने बंटवारा अधिनियम के तहत कोर्ट में अपना हिस्सा लेने के लिए वाद दायर किया।दतिया राजवंश की संपत्ति पर कोई हक नहीं

महाराज कृष्ण सिंह के पुत्र और सेवढ़ा विधायक घनश्याम सिंह का कहना है कि हमारे स्वर्गीय चाचा केसर सिंह को उनकी जीवित अवस्था में ही राजवंश की संपत्ति का बंटवारा कर हिस्सा दे दिया गया था। अब उनके पुत्र गिरिराज हमारी संपत्ति पर कब्जा जमाने का प्रयास कर रहे हैं। राजवंश की मर्यादा को खंडित कर रहे हैं। वैसे भी मामला न्यायालय के अधीन है। अतः इस संदर्भ में ज्यादा कुछ बोलना ठीक नहीं है।

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