नई दिल्ली : नीति आयोग की स्थापना सहयोगपूर्ण संघवाद के महत्वपूर्ण लक्ष्य को साकार करने के लिए की गई है, यह मानते हुए कि मजबूत राज्य एक मजबूत देश का निर्माण करते हैं। राज्यों के साथ मिलकर काम करने के लिए पहले ही कई उपाय किेए जा चुके हैं। अकेले पिछले साल में ही नीति आयोग के उपाध्यक्ष/सदस्यों द्वारा राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ 30 से अधिक बैठकें की गईं।
इन बैठकों में विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों के साथ राज्यों से संबंधित कई मुद्दों का समाधान किया गया है और नीति आयोग व राज्यों के बीच अधिक सहयोग का मार्ग प्रशस्त हुआ है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने 21 जनवरी 2021 को राज्य से संबंधित विकास के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए हैदराबाद में तेलंगाना के मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। हाल में, नीति आयोग की तरफ से बैठक के लिए अनुरोध किए जाने के बावजूद मुख्यमंत्री ने कोई जवाब नहीं दिया।
भारत सरकार सभी मंत्रालयों के साथ-साथ प्रधानमंत्री के कार्यालय के माध्यम से राष्ट्रीय महत्व के सभी मुद्दों पर राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के साथ बातचीत करती रहती है। विशेष रूप से, 7 अगस्त 2022 की शासी परिषद की होने वाली बैठक की तैयारी के मद्देनजर, जून 2022 में धर्मशाला में मुख्य सचिवों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हुआ था। इस दौरान तेलंगाना समेत राज्यों और केंद्र के बीच विस्तृत चर्चा हुई। सम्मेलन छह महीने के लंबे विचार-विमर्श के बाद हुआ, जिसमें तेलंगाना के मुख्य सचिव सहित सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने हिस्सा लिया था। तेलंगाना के माननीय मुख्यमंत्री का यह आरोप गलत है कि एजेंडा तैयार करने में राज्यों को शामिल नहीं किया गया।
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जल क्षेत्र के संदर्भ में, पिछले 4 वर्षों में भारत सरकार ने तेलंगाना राज्य के लिए जल जीवन मिशन के तहत 3982 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। हालांकि राज्य ने केवल 200 करोड़ रुपये ही निकाले। इसके अलावा, 2014-15 से 2021-22 के दौरान पीएमकेएसवाई-एआईबीपी-सीएडीडब्ल्यूएम के तहत तेलंगाना को 1195 करोड़ रुपये जारी किए गए।
भारत सरकार राष्ट्रीय महत्व की प्रमुख योजनाओं/कार्यक्रमों सहित वित्तीय मामलों में लगातार राज्यों का सहयोग करती रही है। केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत कुल आवंटन 2015-16 में 2,03,740 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2022-23 में 4,42,781 करोड़ रुपये कर दिया गया है यानी, इस अवधि में यह दोगुना बढ़ गया। इसके अलावा चौदहवें वित्त आयोग के तहत ग्रांट भी 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत की गई। सीएसएस के तहत आवंटित धन के इस्तेमाल के लिए भी पर्याप्त ढील दी गई है।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि तेलंगाना के माननीय मुख्यमंत्री ने 7 अगस्त को होने वाली नीति आयोग की शासी परिषद की बैठक में भाग नहीं लेने का फैसला किया है। शासी परिषद एक ऐसा मंच है, जहां केंद्र और राज्य स्तर पर देश का सर्वोच्च राजनीतिक नेतृत्व विकास संबंधी मुद्दों पर विचार-विमर्श करता है और राष्ट्रीय विकास के लिए उपयुक्त समाधान पर सहमति बनती है।