बेंगलुरु : केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए जी-20 सदस्य देशों से एक साथ आने का आह्वान किया है। बेंगलुरु में ऊर्जा अंतरण कार्य समूह (ईटीडब्ल्यूजी) की पहली बैठक में मुख्य भाषण देते हुए, आर.के. सिंह ने कहा कि भारत अब 2005 के स्तर से 2030 तक जीडीपी की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, देश का लक्ष्य 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से करीब 50 प्रतिशत संचयी विद्युत ऊर्जा स्थापित क्षमता हासिल करना है। यह देखते हुए कि भारत को जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक में शीर्ष पांच प्रदर्शन करने वाले देशों में स्थान दिया गया है,
आर.के. सिंह ने बताया कि देश का प्रति व्यक्ति ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन 2020 में 6.3 टीसीओ2ई के विश्व औसत से बहुत कम है। उन्होंने बताया कि सरकार की विभिन्न ऊर्जा बचत योजनाओं के कारण प्रति वर्ष 267.9 मिलियन टन सीओ2 की कमी हुई है, जिसके परिणामस्वरूप 18.5 बिलियन डॉलर की अनुमानित लागत बचत हुई है।
बाद में, मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत ऊर्जा आधार की वर्तमान उपलब्धता के साथ कोई समझौता नहीं करेगा और ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त करने के लिए सभी संभावित स्रोतों का पता लगाएगा। उन्होंने कहा कि ईटीडब्ल्यूजी बैठक इसके लिए रोडमैप तैयार करने के लिए एक प्रारंभिक मंच के रूप में काम करेगी।
अपने विशेष संबोधन में, केंद्रीय संसदीय कार्य, कोयला और खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने स्वच्छ ऊर्जा तक सार्वभौमिक पहुंच प्राप्त करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “भारतीय प्रकृति के शोषण के बजाय इसके अनुकूल जीवन शैली और प्रथाओं में विश्वास करते हैं। कम करना, पुन: उपयोग करना और पुनर्चक्रण करना हमारे जीवन की अवधारणा है और चक्रीय अर्थव्यवस्था हमारी संस्कृति और जीवन शैली का एक अभिन्न अंग है।”
प्रह्लाद जोशी ने ग्लासगो में सीओपी26 में मिशन लाइफ-लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा का उल्लेख किया, जो पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए “बिना सोचे समझे और विनाशकारी खपत के बजाय सचेत और समझदारी से उपयोग” के लिए एक जन आंदोलन है।
भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत ईटीडब्ल्यूजी की पहली बैठक छह प्रमुख प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी जैसे कि तकनीकी अंतर को खत्म करते हुए ऊर्जा संक्रमण; ऊर्जा संक्रमण के लिए कम लागत का वित्तपोषण; ऊर्जा सुरक्षा और विविध आपूर्ति श्रृंखलाएं; ऊर्जा दक्षता, औद्योगिक निम्न कार्बन संक्रमण और जिम्मेदार खपत; फ्यूल्स फॉर फ्यूचर (3एफ) और स्वच्छ ऊर्जा तक सार्वभौमिक पहुंच और न्यायोचित, वहनीय और समावेशी ऊर्जा संक्रमण मार्ग। “एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य” इस कार्यक्रम का थीम है।
ब्राजील के विदेश मंत्रालय में नवीकरणीय ऊर्जा प्रभाग के प्रमुख रेनाटो डोमिथ गोडिन्हो, सचिव (ऊर्जा) श्री आलोक कुमार, भारत के जी20 सीसीयूएस शेरपा अभय ठाकुर और नीति आयोग के सदस्य वी.के. सारस्वत ने भी अपनी बात रखी।
विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ तीन दिवसीय आयोजन में जी20 देशों और नौ विशेष आमंत्रित अतिथि देशों सहित 150 से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।
इसके अलावा, ‘कार्बन अवशोषण, उपयोगिता और भंडारण (सीसीयूएस)’ पर एक उच्च स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी कार्बन अवशोषण, उपयोगिता और भंडारण के महत्व पर प्रकाश डालने पर केंद्रित थी, जिसे शुद्ध-शून्य लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।