दुष्कर्म का शिकार हुई नाबालिग का आरोपित ने कराया गर्भपात : पुलिस ने कराया डीएनए टेस्ट तब हुआ मामले का खुलासा

Datia News : दतिया। 15 वर्षीय नाबालिग से जबरन संबंध बनाकर उसे गर्भवती करने वाले आरोपित को आजीवन जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ेगा। आरोपित ने अपने घिनौने कृत्य को छुपाने के लिए नाबालिग का गर्भपात तक करा दिया था। जिसके बाद गर्भ में पलने वाले नवजात शिशु का शव गांव में एक बेड़े में फैंक दिया गया। जब नवजात का पुलिस ने शव बरामद कर उसके जैविक माता-पिता की तलाश की तो आरोपित का डीएनए मृत शिशु के डीएनए से मैच कर गया। जिसके आधार पर उसे सजा सुनाई गई।

नाबालिग से दुराचार कर उसका गर्भपात कराने वाले इस आरोपित को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। विशेष न्यायालय पोक्सो एक्ट दतिया रमाजयंत मित्तल द्वारा गंभीर विशेष सत्र प्रकरण में निर्णय पारित करते हुए आरोपित विवेक कुशवाह पुत्र लल्लूराम कुशवाह निवासी खिरिया कबीर, थाना उनाव को नाबालिग किशोरी के साथ दुराचार करने में दोषी पाते हुए आजीवन कारावास एवं 50 हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया गया।

प्रकरण में प्रभावी अभियोजन आरसी चतुर्वेदी, जिला अभियोजन अधिकारी एवं संचिता अवस्थी विशेष लोक अभियोजक पोक्सो एक्ट द्वारा किया गया। विवेचना एसडीओपी मोहित कुमार यादव ने की।

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ईंट के ढेर के पास पड़ा मिला था मृत नवजात शिशु  : प्रकरण के मुताबिक फरियादी आनंद दांगी निवासी खिरिया द्वारा थाना उनाव को सूचना दी गई कि 31 अगस्त 2020 को सुबह सात बजे उसे गांव के देवलाल पाल ने बताया कि रामसिंह पटवा के बेड़ा के पास एक नवजात बच्चा पड़ा है। जब जाकर देखा गया तो ईंट के ढेर के पास एक नवजात शिशु मृत अवस्था में पड़ा था। इसकी सूचना डायल 100 को दी गई। उक्त अज्ञात शिशु के संबंध में मर्ग कायम कर पुलिस ने मामला जांच में लिया।

जांच के दौरान पुलिस ने नाबालिग 15 वर्षीय किशोरी एवं उसके पिता के कथन लिए गए। तब यह ज्ञात हुआ कि चार माह पहले आरोपित विवेक द्वारा नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया गया था। जिससे वह गर्भवती हो गई थी। इसके बाद आरोपित ने उसे गर्भपात के लिए दवाई भिजवाई। जिस कारण उसका गर्भपात हो गया था। आरोपित विवेक को पुलिस ने गिरफ्तार किया।

डीएनए रिपोर्ट से हुआ खुलासा : इसके बाद भ्रूण एवं आरोपित के डीएनए सैंपल लिए गए। डीएनए रिपोर्ट पाजीटिव आने पर उसके आधार पर आरोपित पर दोषसिद्ध हो गया। वहीं विचारण के दौरान नाबालिग एवं उसके माता-पिता द्वारा प्रकरण का समर्थन न करते हुए पक्षद्रोही कथन दिए गए। लेकिन नवजात शिशु के स्रोत बोन से प्राप्त डीएनए प्रोफाइल में वह नाबालिग किशोरी एवं आरोपित विवेक की जैविक संतान पाई गई।जिसके आधार पर न्यायालय द्वारा अभियोजन साक्ष्य पर विश्वास करते हुए आरोपित को दोषी मानकर दंडादेश दिया गया।

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