नई दिल्ली : केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि भारतीय सूचना सेवा भारत की सरकारी सूचना व्यवस्था की अग्रिम पंक्ति की रक्षक है जो भारत के हितों की रक्षा करती है और शासन के लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा करती है। नई दिल्ली में भारतीय सूचना सेवा (आईआईएस) के 2018, 2019 और 2020 बैच के अधिकारियों के समापन सत्र को संबोधित करते हएु सूचना और प्रसारण मंत्री ने कहा कि आईआईएस बेहद गर्व और पर्याप्त तरीके से सूचना और पहुंच की भूमिका निभाती है।
नई दिल्ली में भारतीय जनसंचार संस्थान में प्रशिक्षु अधिकारियों के साथ-साथ सेवा से जुड़े और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए, ठाकुर ने कहा कि जल्द ही अधिकारियों को विभिन्न मीडिया के माध्यम से, केन्द्र सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में लोगों से संवाद करने की महत्वपूर्ण भूमिका सौंपी जाएगी। उन्होंने कहा कि अधिकारी ऐसे समय में सेवा में प्रवेश कर रहे हैं जब मात्र 280 अक्षरों के ट्वीट में दुनिया भर में 8 अरब की आबादी को प्रभावित करने की शक्ति है।
प्रौद्योगिकी संचालित युग में, अधिकारी अधिक विश्वसनीय और संपूर्ण जानकारी प्रदान करने के लिए गैर-आधिकारिक सूचना प्रसारकों के साथ प्रतिस्पर्धा करेंगे। उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ, मीडिया परिदृश्य लगातार आकार ले रहा है, अत: उन्होंने अधिकारियों को दर्शकों से प्रभावी ढंग से जुड़ने और हमारे संदेशों को प्रेषित करने के लिए अत्याधुनिक उपकरणों, विचारधारा और तकनीकों से अच्छी तरह वाकिफ होने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने अधिकारियों को नागरिकों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने के लिए नए अवसर तलाशने के लिए प्रेरित किया।
ठाकुर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आगे का कार्य चुनौतियों से भरा है। उन्होंने 5’सी मंत्र की पेशकश की जो भारत @ 2047 के लिए सूचना का मार्गदर्शन करेगा। उन्होंने कहा कि पांच सी हैं
● नागरिक-केन्द्रित सूचना (सिटीजन सेंट्रिक कम्युनिकेशन) – सूचना नागरिकों की जरूरतों और हितों पर केन्द्रित होनी चाहिए, यह सुनिश्चित हो कि यह सभी के लिए सुलभ, समावेशी और समझने योग्य हो।
● लक्षित दर्शकों के साथ सह निर्माण (को-क्रिएट विद टार्गेट ऑडिएंस) – सूचना और संदेश के निर्माण और डिजाइन में लक्षित दर्शकों को शामिल करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह उपयुक्त है और समझ में आता है।
● सहयोग (कोलेबोरेशन)- सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए हितधारकों के साथ मिलकर काम करें और एक दूसरे की ताकत और विशेषज्ञता का लाभ उठाएं।
● अवलोकन (कंटैम्पलेशन) – आवश्यकतानुसार सुधार और समायोजन करने के लिए सूचना रणनीतियों की प्रभावशीलता को प्रतिबिंबित करने और मूल्यांकन करने के लिए समय निकालें।
● क्षमता निर्माण (कैपेसिटी बिल्डिंग)- संचार क्षेत्र में उभरती प्रौद्योगिकियों और चुनौतियों के अनुकूल होने के लिए कौशल और ज्ञान को लगातार विकसित करें।
ठाकुर ने उस समय की तुलना की जब इस सेवा की स्थापना की गई थी जब युद्ध के बाद की वैश्विक सूचना व्यवस्था आकार ले रही थी। उन्होंने कहा कि “अब हम एक महामारी के बाद नई सूचना व्यवस्था का जन्म देख रहे हैं क्योंकि एक दूसरे से उचित तालमेल की भू-राजनीतिक रेखाएं नये सिरे से बन रही हैं और भू-रणनीतिक चिंताओं को फिर से तैयार किया जा रहा है। वर्तमान पैटर्न और नियमों पर आधारित सूचना का प्रसार विशाल टेक्नोलॉजी कम्पनियों के जबरदस्त प्रभुत्व वाली नई सूचना व्यवस्था के मूल में निहित है। एक बार फिर, हम पश्चिम को नई सूचना व्यवस्था को आकार और रूप देते हुए देख रहे हैं, विशाल टेक्नोलॉजी उनके साथ मजबूती से जुड़ी हुई है।” मंत्री ने आगाह किया कि यह स्वतंत्र देशों को उनकी स्वायत्तता से बाहर कर सकता है यह तय करने के लिए कि उनके लिए सबसे अच्छा क्या है। यहां, उन्होंने कहा, अधिकारियों की एक भूमिका है जिन्हें बाहर से थोपी गई सूचना व्यवस्था के खिलाफ चारदीवारी बनना चाहिए। उन्होंने कहा, “भारत को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, नई सूचना व्यवस्था को आकार और रूप देने में समान भागीदार होना चाहिए”।
मंत्री ने कहा कि अधिकारियों का प्राथमिक कार्य मुद्दों की जानकार समझ को बढ़ावा देना होगा ताकि सार्वजनिक तौर पर सही सूचना प्राप्त हो, सार्वजनिक तौर पर गलत जानकारी राष्ट्र को कमजोर करती है, इसके संस्थान बदनाम होते हैं, और निर्वाचित सरकार में भरोसा कमजोर होता है। उन्होंने आगे कहा कि दुर्भावनापूर्ण दुष्प्रचार से प्रभावित सार्वजनिक जानकारी लोकतंत्र और राष्ट्रीय हित के लिए नाशक और खतरनाक है। इस इन्फोडेमिक के खतरे पर प्रकाश डालते हुए, ठाकुर ने कहा कि निस्संदेह प्रत्येक व्यक्ति तक बेरोकटोक डिजिटल पहुंच का लोकतंत्रीकरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, लोकप्रिय बहस और संवाद में नीचे से ऊपर तक की भागीदारी की अनुमति, साथ ही दुर्भावनापूर्ण, मतभेद पैदा करने के लिए दुष्प्रचार, चाहे आंतरिक हो या बाहरी, डिजिटल पहुंच के सकारात्मक लाभों के खिलाफ काम करते हैं। ठाकुर ने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि डिजिटल पहुंच के लोकतंत्रीकरण से होने वाले लाभों को दुष्प्रचार से कम न होने दें।
अनुराग ठाकुर ने तीन बैच के 52 अधिकारियों को प्रतिष्ठित सेवा में शामिल होने पर बधाई दी और कहा कि वह इतने सारे युवा, उत्साही अधिकारियों को देखकर रोमांचित हैं – जो राष्ट्र की सेवा के लिए अपनी ऊर्जा समर्पित करने के लिए उत्सुक और तैयार हैं।