श्रीहरिकोटा : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-३ के फलतापूर्वक लॉन्च किया . इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के माध्यम से, भारत अपने विज्ञानिक और अंतरिक्ष अनुसंधान में एक और महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ा रहा है।
चंद्रयान-३ भारत का तीसरा चंद्रयान मिशन है, पिछले दो चंद्रयान मिशनों के सफल प्रक्षेपण के बाद, इस मिशन की प्रतीक्षा लंबे समय से की जा रही थी।चद्रयान-३ के साथ, भारत के वैज्ञानिक इस बार चंद्रमा की उच्चतम सतह का अध्ययन करने की योजना बना रहे हैं। इसके अलावा, उनका मकसद चंद्रमा पर उड़ान भरने वाला यान सफलतापूर्वक प्रक्षेपित करना भी है।
चंद्रयान-३ मिशन विशेषज्ञों के द्वारा अद्यतित और उन्नत तकनीक का उपयोग करते हुए तैयार किया गया है। यह चंद्रमा पर गहनता और नक्शे बनाने के लिए एक उच्च-प्रदर्शन रोवर और प्रमाणिकरण साधनों के साथ सुसज्जित होगा।
चंद्रयान-३ मिशन का सफल प्रक्षेपण देश के अंतरिक्ष क्षेत्र में नया उद्घाटन है। इसके माध्यम से भारत विज्ञान, तकनीक, और अंतरिक्ष क्षेत्र में अपने स्थान को मजबूत करने का प्रयास कर रहा है। चंद्रयान-३ की सफलता से हमें भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम की गरिमा और महत्व की पुष्टि मिलेगी।
चंद्रयान-3 हमारे देश की आशाओं और सपनों को साकार करेगा – प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 के महत्व का उल्लेख किया है।
ट्वीट की एक श्रृंखला में, प्रधानमंत्री ने कहा : “जहां तक भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र का प्रश्न है, 14 जुलाई 2023 हमेशा स्वर्णिम अक्षरों में अंकित रहेगा। हमारा तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 अपनी यात्रा का शुभारंभ करेगा। यह उल्लेखनीय मिशन हमारे देश की आशाओं और सपनों को आगे बढ़ाएगा।
कक्षा में भेजने की प्रक्रिया के बाद चंद्रयान-3 को चंद्र स्थानांतरण प्रक्षेप पथ में भेजा जाएगा। 3,00,000 किमी से अधिक की दूरी तय करते हुए, यह आने वाले हफ्तों में चंद्रमा पर पहुंचेगा। चंद्रयान पर मौजूद वैज्ञानिक उपकरण चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेंगे और हमारे ज्ञान को बढ़ाएंगे।
14th July 2023 will always be etched in golden letters as far as India’s space sector is concerned. Chandrayaan-3, our third lunar mission, will embark on its journey. This remarkable mission will carry the hopes and dreams of our nation. pic.twitter.com/EYTcDphaES
— Narendra Modi (@narendramodi) July 14, 2023
हमारे वैज्ञानिकों को धन्यवाद, अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत का इतिहास बहुत समृद्ध है। चंद्रयान-1 को वैश्विक चंद्र मिशनों में एक पथ प्रदर्शक माना जाता है क्योंकि इसने चंद्रमा पर जल के अणुओं की उपस्थिति की पुष्टि की है। यह दुनिया भर के 200 से अधिक वैज्ञानिक प्रकाशनों में प्रकाशित हुआ।
चंद्रयान-1 तक, चंद्रमा को एक पूर्ण रूप शुष्क, भूवैज्ञानिक रूप से निष्क्रिय और निर्जन खगोलीय पिंड माना जाता था। अब, इसे जल और इसकी उप-सतह पर बर्फ की उपस्थिति के साथ एक गतिशील और भूवैज्ञानिक रूप से सक्रिय खगोलीय खंड के रूप में देखा जाता है। हो सकता है कि भविष्य में इस पर संभावित रूप से निवास किया जा सके!
चंद्रयान-2 भी उतना ही महत्वपूर्ण था क्योंकि इससे जुड़े ऑर्बिटर के डेटा ने पहली बार रिमोट सेंसिंग के माध्यम से क्रोमियम, मैंगनीज और सोडियम की उपस्थिति का पता लगाया था। इससे चंद्रमा के मैगमैटिक विकास के बारे में अधिक जानकारी भी मिलेगी।
LVM3 M4/Chandrayaan-3 Mission:
LVM3 M4 vehicle🚀 successfully launched Chandrayaan-3🛰️ into orbit.— ISRO (@isro) July 14, 2023
चंद्रयान 2 के प्रमुख वैज्ञानिक परिणामों में चंद्र सोडियम के लिए पहला वैश्विक मानचित्र, क्रेटर आकार वितरण पर उन्नत जानकारी, आईआईआरएस उपकरण के साथ चंद्र सतह पर जल से निर्मित बर्फ का स्पष्ट रूप से पता लगाना और बहुत कुछ शामिल है। यह मिशन लगभग 50 प्रकाशनों में प्रकाशित हुआ है।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा की चंद्रयान-3 मिशन के लिए शुभकामनाएँ! मैं आप सभी से इस मिशन और अंतरिक्ष, विज्ञान एवं नवाचार में की गई देश की प्रगति के बारे में और अधिक जानने का आग्रह करता हूं। इससे आप सभी बेहद गौरवान्वित महसूस करेंगे।”