Abu Dhabi में खुलेगा IIT Delhi का कैंपस, PM मोदी के UAE दौरे पर लिया गया फैसला

नई दिल्ली :

अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली का पहला परिसर स्थापित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय और अबू धाबी शिक्षा एवं ज्ञान विभाग (एडीईके) तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (आईआईटी दिल्ली) के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

इस समझौता ज्ञापन पर संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति महामहिम शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान और प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए। इस समझौता ज्ञापन पर एडीईके के अवर सचिव महामहिम मुबारक हमद अल म्हेरी, संयुक्त अरब अमीरात में भारत के राजदूत श्री संजय सुधीर और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रंगन बनर्जी ने हस्ताक्षर किए।

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वर्तमान में जारी संयुक्त अरब अमीरात-भारत व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) को पूर्णता प्रदान करते हुए यह एमओयू शैक्षिक उत्कृष्टता, नवाचार, ज्ञान के आदान-प्रदान और मानव पूंजी में निवेश को प्राथमिकता देने को भावी समृद्धि और दीर्घकालिक आर्थिक विकास तथा सतत विकास के सक्षमकर्ताओं के आधार के रूप में दोनों देशों के साझा विजन को प्रतिबिंबित करता है।

एमओयू पर हस्ताक्षर होने पर सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसन्‍नता व्यक्त करते हुए केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली परिसर की स्थापना के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की उपस्थिति में एमओयू किया जाना भारत की शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण में नए अध्याय का सूत्रपात है। उन्‍होंने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात में न्‍यू इंडिया के नवाचार और विशेषज्ञता की मिसाल -आईआईटी दिल्ली परिसर भारत-यूएई मैत्री की इमारत होगी।

उन्होंने कहा कि अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली परिसर परस्‍पर समृद्धि और वैश्विक कल्‍याण दोनों के लिए ज्ञान की शक्ति का लाभ उठाने का नया प्रतिमान स्थापित करेगा। उन्होंने कहा कि यह भारत की शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण में नए अध्याय का सूत्रपात भी करता है।

प्रारंभिक शिक्षा राज्य मंत्री, प्रारंभिक शिक्षा की संघीय एजेंसी की अध्यक्ष और एडीईके की अध्यक्ष महामहिम सुश्री सारा मुसल्लम ने कहा कि यह समझौता ज्ञापन अबू धाबी की विश्व स्तरीय शिक्षा प्रणाली को तेज गति से बढ़ाने की प्रतिबद्धता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करता है, जो राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों और प्राथमिकताओं में सहायता करता है। उन्‍होंने कहा कि इस समझौता ज्ञापन का कार्यान्‍वयन वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी शिक्षा इकोसिस्‍टम को वास्‍तविक रूप प्रदान करने की हमारी योजनाओं की दिशा में मील का पत्थर है। हमारी राष्ट्रीय रणनीति के अनुरूप, यह समझौता ज्ञापन विश्व स्तरीय शैक्षिक अनुभव प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता को प्रतिबिम्बित करता है। महामहिम सुश्री सारा मुसल्लम ने कहा कि हमें आशा है कि नवाचार को बढ़ावा और उच्च स्तरीय अनुसंधान को गति प्रदान करने वाले वातावरण को प्रोत्‍साहन देने की दिशा में हमारे संक्रमण की दिशा में आईआईटी दिल्ली – अबू धाबी साझेदारी सहायता देगी।

आईआईटी दिल्ली – अबू धाबी संपूरक कार्यक्रमों की पेशकश करने, अत्याधुनिक अनुसंधान संचालित करने और स्थानीय स्टार्टअप इकोसिस्‍टम को आगे बढ़ाने के लिए मोहम्मद बिन जायद यूनिवर्सिटी ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, खलीफा यूनिवर्सिटी, न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी अबू धाबी, टेक्नोलॉजी इनोवेशन इंस्टीट्यूट और हब 71 जैसी प्रमुख संस्‍थाओं के सहयोग के माध्यम से अबू धाबी में शैक्षणिक, अनुसंधान और नवाचार इकोसिस्‍टम को पूर्णता प्रदान  करेगा।

आईआईटी दिल्ली – अबू धाबी परिसर द्वारा 2024 में अपने शैक्षणिक कार्यक्रम और कई स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रम शुरू करने तथा सतत ऊर्जा और जलवायु अध्ययन से संबंधित अनुसंधान केंद्रों के साथ ही साथ कंप्यूटिंग और डेटा विज्ञान से संबंधित कार्यक्रमों को संचालित किए जाने की संभावना है। आईआईटी दिल्ली – अबू धाबी द्वारा ऊर्जा और स्थिरता, कृत्रिम आसूचना, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, गणित और कंप्यूटिंग और इंजीनियरिंग, विज्ञान और मानविकी के अन्‍य विषयों को कवर करते हुए विविध कार्यक्रमों की पेशकश किए जाने की संभावना है।

आईआईटी दिल्ली – अबू धाबी के स्नातक भारत के 23 परिसरों के स्नातकों के शानदार पूर्व छात्र नेटवर्क में शामिल होंगे। उत्कृष्ट साख के साथ आईआईटी दिल्ली ने हाल ही में इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के लिए दुनिया के शीर्ष 50 संस्थानों में स्थान हासिल किया है। इसने 2022 क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में वैश्विक रोजगार योग्यता के लिए शीर्ष 30 रैंक भी हासिल की है। आईआईटी दिल्ली रक्षा, स्वास्थ्य सेवा और ग्रामीण विकास से लेकर परिवहन, आईटी और सॉफ्टवेयर तक के क्षेत्रों में भारत के अनुसंधान एवं विकास इकोसिस्‍टम में अग्रणी योगदानकर्ता रहा है।

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