Datia news : दतिया। दहेज के लिए पत्नी की जान लेने वाले पति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। यह सजा पत्नी द्वारा दिए गए मृत्यु पूर्व कथन के आधार पर न्यायालय ने आरोपित को दी। जबकि घटना को लेकर मृतका के परिवार के लोग ही पक्षद्रोही हो गए थे। लेकिन मृतका के कथन और एफएसएल लैब की रिपोर्ट ने आरोपितों को सजा दिलाने में मदद की।
जिसके बाद पत्नी की हत्या करने वाले पति को आजीवन कारावास की सजा एवं 12 हजार रुपये के अर्थदंड से न्यायालय ने दंडित किया। न्यायालय प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश दतिया के न्यायालय द्वितीय अतिरिक्त न्यायाधीश उत्सव चतुर्वेदी द्वारा एक विशेष सत्र प्रकरण में निर्णय पारित करते हुए आरोपित फईम पठान पुत्र कल्लू पठान निवासी रिछारा फाटक दतिया को आजीवान कारावास से दंडित किया गया। प्रकरण में अभियोजन की ओर से प्रभावी पैरवी मुकेश गुप्ता, अपर लोक अभियोजक द्वारा की गई।
प्रकरण के अनुसार महिला नजमा के आग से जलने पर 13 अप्रैल 2014 को उसे जिला अस्पताल दतिया लाया गया। जिसकी सूचना चिकित्सक द्वारा नगर निरीक्षक कोतवाली दतिया को दी गई। जिस पर अपराध पंजीबद्ध किया गया। आहता को ग्वालियर रैफर किया गया जहां उसे जेएएच ग्वालियर में भर्ती किया गया।
वहां उसके मृत्युकालीन कथन लेखबद्ध किए गए। इलाज के दौरान 20 अप्रैल 2014 को नजमा की मृत्यु हो गई। इस मामले में अनुसंधान के दौरान पुलिस थाना कोतवाली ने साक्षीगण के कथन लेखबद्ध किए।
साक्षीगण के कथनों से पाया गया कि मृतका नजमा का विवाह फहीम खान के साथ मुस्लिम रीति रिवाज के साथ हुआ था और शादी में सभी सामान आदि दिया गया था। शादी के बाद से ही नजमा से पैसे की मांग उसका पति करता था। मृतका के मृत्युकालीन कथनों में पाया गया कि उसके पति फहीम ने सास, ससुर, देवर के कहने पर उसके ऊपर मिट्टी का तेल डाला और माचिस से आग लगाई।

जप्तशुदा वस्तु परीक्षण के लिए एफएसएल सागर भेजी : कोतवाली पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर प्रकरण में जप्तशुदा वस्तुओं को पुलिस अधीक्षक दतिया के ड्राफ्ट के माध्यम से रासायनिक परीक्षण के लिए एफएसएल सागर भेजा गया। जिसकी रिपोर्ट प्राप्त में अपराध घटित किया जाना पाया गया। जिसके बाद मृतका के पति फईम की उपस्थिति एवं आरोपित रूखसाना, कल्लू, रन्नो एवं छोटे उर्फ अख्तर को फरार दर्शाते हुए अभियोग पत्र न्यायालय दतिया में प्रस्तुत किया गया।
प्रकरण में शासन की ओर से प्रभावी संचालन मुकेश गुप्ता अपर लोक अभियोजक अतिरिक्त शासकीय अधिवक्ता द्वारा किया गया। प्रकरण में मृतका के परिवार के लोग पक्षद्रोही हो गए थे और उन्होंने घटना का समर्थन नहीं किया। लेकिन अतिरिक्त शासकीय अभिभाषक द्वारा मृत्युकालिक कथन को उच्चतम न्यायालय के न्यायदृष्टांतो एवं दलीलों के आधार पर अपराध प्रमाणित किया गया। जिसके आधार पर न्यायालय ने आरोपित फहीम खान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।