भोपाल : विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत संचालित प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी), मेसर्स केमलाइफ इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड, जिसका मुख्यालय बेंगलुरु, कर्नाटक में है, के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की। यह साझेदारी “जानवरों के लिए आहार में उपयोग किए जाने वाले बायो-ट्रेस खनिजों का व्यावसायीकरण और विनिर्माण” नामक परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है : एक दूरदर्शी प्रयास जो प्रभावशाली वैज्ञानिक नवाचार को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड की प्रतिबद्धता के साथ मेल खाता है।
दीर्घकालिक प्रगति को बढ़ावा देने वाले नवीन समाधानों की वर्तमान अवश्यकताओं के बीच, इस सहयोग का एक महत्वपूर्ण आयाम राष्ट्रीय पशुधन मिशन के साथ सामंजस्यपूर्ण रूप से अनुरूप है और यह भारत के रणनीतिक ढांचे की आधारशिला है। प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण से प्रेरित, इस मिशन का उद्देश्य पशुधन उत्पादकता को बढ़ाना, चारा और चारा संसाधनों को अनुकूल बनाना तथा पशुधन प्रबंधन में प्रौद्योगिकी को शामिल करना है।
इस राष्ट्रीय रोडमैप के अनुरूप, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड और मेसर्स केमलाइफ इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड ने एक प्रवर्तनकारी यात्रा शुरू की है, जो “जानवरों के भोजन में उपयोग किए जाने वाले बायो-ट्रेस खनिजों के व्यावसायीकरण और विनिर्माण” परियोजना में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड का अटूट समर्थन इसकी 84 लाख रुपये की प्रतिबद्धता से प्रमाणित होता है और जो 142.60 लाख रुपये की कुल परियोजना लागत में महत्वपूर्ण योगदान है।
इस अवसर पर बोलते हुए, टीडीबी के सचिव राजेश कुमार पाठक ने कहा, “हम इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड को उनके अग्रणी प्रयास में समर्थन मुहैया कराकर बहुत हर्ष महसूस कर रहे हैं। यह परियोजना तकनीकी नवाचार और टिकाऊ विनिर्माण का उदाहरण है, जो टीडीबी के लक्ष्यों के साथ सहजता से संरेखित है। जैसे-जैसे यह परियोजना आगे बढ़ती है, यह पशु पोषण को बेहतर करने, पशुधन और मुर्गीपालन और डेयरी उत्पादन को बदलाव करने तथा नए पर्यावरण-अनुकूल विनिर्माण मानक स्थापित करती जाएगी। यह सहयोग राष्ट्रीय पशुधन मिशन के उद्देश्यों के अनुरूप है, जो पशु आहार में नवीन जैव-ट्रेस खनिजों के माध्यम से पशु पोषण के महत्वपूर्ण पहलुओं को संबोधित करता है।
नवप्रर्वतन और दीर्घकालिकता से प्रेरित मेसर्स केमलाइफ इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड पशु आहार के लिए बायो-ट्रेस खनिजों के निर्माण में क्रांति लाने का विजन रखता है। यह विशेष रूप से पशुधन और पोल्ट्री/डेयरी क्षेत्रों को लक्षित करता है। अभूतपूर्व ‘त्वरित प्राकृतिक जैव परिवर्तन’ (एएनबीओटी) प्रौद्योगिकी पर आधारित यह परियोजना एक मालिकाना पोषक माध्यम पेश करती है, जो पर्यावरणीय स्थिरता के सिद्धांतों के साथ सहजता से रेखांकित करते हुए, मामूली परिस्थितियों में केलेशन प्रतिक्रियाओं की सुविधा प्रदान करती है।
इस कोशिश के केंद्र में हाइड्रॉक्सी अमीनो अम्ल से भरपूर प्यूपा प्रोटीन का साधारण उपयोग है, जो यीस्ट हाइड्रोलाइज़ेट और मेथिओनिन हाइड्रॉक्सी एनालॉग (एमएचए) जैसे आयातित लिगैंड का एक किफायती विकल्प प्रदान करता है। यह रणनीतिक बदलाव, न केवल आर्थिक व्यवहार्यता को बढ़ाता है, बल्कि भारत के आत्मनिर्भरता के लक्ष्य के अनुरूप भी है।
गुणवत्ता के प्रति इस कंपनी की अटूट प्रतिबद्धता, विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त बेंचमार्क – सम्मानित एफएएमआई-क्यूएस प्रमाणन के साथ-साथ, पशु चारा योज्य गुणवत्ता और आहार सुरक्षा के लिए वैश्विक प्रमाणन हाइड्रॉक्सीकी प्राप्ति से प्रमाणित होती है। तृतीय-पक्ष सत्यापन उनके विकसित उत्पाद ‘मिनबायोज़ेन’ की प्रभावकारिता की पुष्टि करता है, जो अनुकूलता और आशाजनक परिणाम प्रदर्शित करता है।
नवाचार के दायरे से परे, यह परियोजना रेशम कीट प्यूपा भोजन का पुनरुत्पादन करके चक्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान देती है, जिससे रेशम उद्योग द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट को कम किया जाता है। फार्मेक्सिल में कंपनी की सदस्यता निर्यात संभावनाओं को बढ़ाती है जिससे आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलता है। रेशम उद्योग से स्थानीय रूप से उपलब्ध उप-उत्पादों का लाभ उठाने से आर्थिक व्यवहार्यता बढ़ती है, जो आयात प्रतिस्थापन उद्देश्यों और संभावित विदेशी मुद्रा बचत के साथ संरेखित होती है।
वैश्विक प्रमाणपत्रों द्वारा सुदृढ़ उनका व्यापक दृष्टिकोण, हरित रसायन विज्ञान सिद्धांतों और टिकाऊ संसाधन उपयोग के प्रति, उनकी प्रतिबद्धता का उदाहरण देता है। मिन बायो जेन जैसे नवोन्मेषी उत्पाद, पशुधन स्वास्थ्य और विकास को अनुकूलित करने में जैव ट्रेस खनिजों – जस्ता, तांबा, मैंगनीज, लोहा और सेलेनियम-अपरिहार्य आवश्यकता को संबोधित करते हैं। उपयुक्त रूप से मिन बायो जेन नामक यह उत्पाद जैव उपलब्धता और स्थिरता को सहजता से एकीकृत करता है, जो नवाचार और पर्यावरण प्रबंधन के प्रति उनके समर्पण का प्रतीक है।