भोपाल : मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र में 20,000 करोड़ रूपये के निवेश का उपयोग कर मध्यप्रदेश निरामय इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन में अटल मेडिसिटी स्थापित की जायेगी। प्रत्येक संभाग में एम्स की तर्ज पर मध्यप्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस स्थापित किया जायेगा। मध्यप्रदेश संकल्प पत्र 2023 में हर नागरिक को स्वास्थ्य सुरक्षा की गारंटी दी गई है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश संकल्प पत्र 2023 में दी गारंटी को पूरा करने के लिए सात दिन में रोडमैप बनाकर कार्य करने के निर्देश दिये हैं।
संकल्प पत्र के अनुसार प्रमुख शहरों में कैंसर रोगियों के लिए पैलिएटिव केयर सेंटर स्थापित किये जायेंगे। वन लोकसभा-वन मेडिकल कॉलेज योजना के अंतर्गत हर लोकसभा क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज स्थापित किये जायेंगे। वन डिस्ट्रिक्ट-वन नर्सिंग कॉलेज योजना में हर जिले में नर्सिंग कॉलेज होगा। वन ब्लॉक-वन ब्लड बैंक योजना में हर ब्लॉक में ब्लड बैंक बनाये जायेंगे। एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस की संख्या को दोगुना करेंगे। अस्पताल और आईसीयू में बिस्तरों की संख्या को दोगुना किया जायेगा।
वर्तमान में 132 प्रकार की जांच निशुल्क उपलब्ध हैं। हर दिन लगभग 10,000 मरीज लाभ उठा रहे हैं। वर्ष 2003 में 5 मेडिकल कॉलेज थे जो आज बढ़कर 24 हो गए हैं। एमबीबीएस की सीटें बढ़कर 4,000 से अधिक हो गई हैं। साढ़े तीन वर्षों में 800 से अधिक स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण और विकास किया गया है। अस्पताल में बिस्तरों की संख्या 2,000 से 42,000 हो गई है और आईसीयू में बिस्तरों की संख्या 10 गुना से ज्यादा बढ़ाकर 2,085 की गई है।
स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए 11,000 से अधिक हेल्थ ‘एंड वेलनेस सेंटर शुरू किए हैं। प्रदेश में 2,000 से अधिक एंबुलेंस उपलब्ध हैं। डॉक्टरों एवं पैरामेडिकल स्टाफ की संख्या 7 गुना से ज्यादा बढ़ाकर 51,000 से अधिक की गई है।
आयुष्मान भारत के लाभार्थियों के लिये पाँच लाख से ज्यादा खर्च होने पर अतिरिक्त खर्च सीएम रिलीफ फंड से किया जायेगा। निजि अस्पतालों में अत्यधिक चिकित्सा शुल्क को नियंत्रित करने के लिये एक रेगुलेटरी अथॉरिटी की स्थापना की जायेगी। पूरे प्रदेश में 500 नये जन औषधि केंद्र शुरू किये जायेंगे। इनमें कम कीमत पर दवाइयां मिलेंगी। मेडिकल सीटों में 4,000 तक की बढ़ोतरी की गई है। अगले पांच सालों में 2,000 मेडिकल सीटें बढ़ाई जायेंगी। मिशन मोड पर डॉक्टर, नर्स और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ के खाली पदों पर नियुक्तियां की जायेंगी।
रेयर डिजीज के रोगियों को केंद्र सरकार द्वारा दी गई 20 लाख रूपये की वित्तीय सहायता के अलावा भी वित्तीय सहायता दी जायेगी। वर्ष 2025 तक प्रदेश को टीबी मुक्त प्रदेश बनाया जायेगा। टीबी रोगियों को 1000 रूपये की मासिक वित्तीय सहायता दी जायेगी।