परिवार के सदस्य की रेबीज से हुई मौत तो पूरा कुनबा टीका लगवाने पहुंचा अस्पताल : स्टाफ एक साथ इतने लोग देख चकराया

Datia news : दतिया। रेबीज के संक्रमण से परिवार के एक सदस्य की हुई मौत के बाद दहशत में आए एक दर्जन से अधिक अन्य सदस्यों ने शनिवार को जिला अस्पताल पहुंचकर खुद को भी रेबीज के इंजेक्शन लगवाए। इतनी अधिक संख्या में टीका लगवाने पहुंचे लोगों को देखकर एक बार तो अस्पताल का स्टाफ भी घबराहट में आ गया। सभी इस सोच में पड़ गए कि एक साथ इतने लोग कुत्ते के काटने का शिकार कैसे बन गए। लेकिन कुछ देर में ही उन्हें सारा माजरा समझ में आ गया।

दरअसल चिरुला थाना क्षेत्र के ग्राम लरायटा में एक युवक को कुछ दिनों पहले एक आवारा श्वान यानि कुत्ते ने काट लिया था। इस घटना के बाद गत 23 जनवरी को उक्त ग्रामीण की रेबीज संक्रमण से जान चली गई। घर में जहां मातम था वहीं घर के बड़े सदस्यों को परिवार के बच्चों व अन्य लोगों के बचाव की चिंता भी सता रही थी।

गमी के कार्यक्रम पूरा होते ही परिवार के सभी सदस्य सुरक्षा की दृष्टि से शनिवार 27 जनवरी को जिला अस्पताल पहुंच गए। जहां उन्होंने स्वयं को रेबीज के इंजेक्शन लगवाए।

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संक्रमण की खबर लगने पर बड़ी चिंता : सड़क पर आतंक का पर्याय बने आवारा श्वान अब लोगों की जान के दुश्मन बन गए हैं। चिरुला थाना क्षेत्र के ग्राम लरायटा निवासी ग्रामीण मुनीम यादव को कुछ दिन पहले आवारा श्वान ने काट लिया। श्वान के काटने के बाद मुनीम यादव ने लापरवाही बरती और एंटी रेबीज इंजेक्शन नहीं लगवाया। जिससे 23 जनवरी को उसकी मौत हो गई। रेबीज से मुनीम यादव की मौत से परिवार के सभी सदस्य भी घबरा गए।

संक्रमण से बचने के लिए परिवार के सभी 13 सदस्यों ने शनिवार दोपहर जिला अस्पताल पहुंचकर स्वयं को एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाया। इनमें पांच बच्चे, दो किशोरी एवं छह पुरुष शामिल रहे। जिनके जिला अस्पताल पहुंचकर एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने की जानकारी मिली है। चिकित्सकों की मानें तो रेबीज का संक्रमण से बचाव जरुरी होता है।

क्या होता है रेबीज : चिकित्सक बताते हैं कि रेबीज एक वायरस होता है जो जानवरों की लार में पाया जाता है। संक्रमित जानवर के काटने से यह वायरस इंसान में भी फैल सकता है। रेबिज होने पर इंसान में कुछ समय बाद ही लक्षण दिखने लगते हैं। इसमें घबराहट, खाना निगलने में कठिनाई, मुंह से ज्यादा लार आना और चेहरे के हाव-भाव बदलना जैसी परेशानी होती है।

रेबीज का वायरस दिमाग पर असर करता है और इसका फिलहाल कोई इलाज नहीं है। केवल टीकाकरण के जरिए इस बीमारी से बचाव किया जा सकता है। ऐसे में किसी संक्रमित की लार और काटने आदि से ही संक्रमण की संभावना रहती है।

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