Datia news : दतिया । जमीन के मामले में वारंटी की गिरफ्तारी के लिए दुरसड़ा पुलिस का प्रधान आरक्षक लगातार दबाब बना रहा था। जब इस मामले में वारंटी के भाई ने उससे संपर्क किया तो प्रधान आरक्षक ने वारंटी को पकड़ने के बाद मारपीट न करने और मामले में धारा न बढ़ाने के लिए उससे रिश्वत की मांग कर डाली। प्रधान आरक्षक ने इसके लिए 40 हजार की रिश्वत मांगी। जिसे देने के लिए वारंटी का भाई तैयार हो गया।
इसके बाद वारंटी के भाई ने प्रधान आरक्षक को सबक सिखाने के लिए रिश्वत मांगने की शिकायत लोकायुक्त ग्वालियर में आवेदन देकर कर दी। इस संबंध में उसने कुछ साक्ष्य भी प्रस्तुत किए। जिसके बाद लोकायुक्त टीम प्रधान आरक्षक को ट्रेप करने गुरुवार को दुरसड़ा पहुंच गई।
दुरसड़ा थाने में पदस्थ प्रधान आरक्षक हरेंद्र पालिया को 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते गुरुवार को लोकायुक्त टीम ग्वालियर ने रंगे हाथों पकड़ लिया। प्रधान आरक्षक, आरोपित के भाई से रिश्वत के पैसे ले रहा था, तभी लोकायुक्त की टीम वहां आ पहुंची और प्रधान आरक्षक पकड़ा गया।
लोकायुक्त में की थी शिकायत : जानकारी के अनुसार ग्राम सुजेड निवासी पूरन पटवा ने गत 16 अप्रैल को लोकायुक्त ग्वालियर में शिकायती आवेदन दिया था। जिसमें उल्लेख था कि दुरसड़ा थाने में दर्ज जमीन बेचने के धोखाधड़ी संबंधी प्रकरण में न्यायालय द्वारा उसके भाई सूरज के विरुद्ध स्थाई वारंट जारी किया गया था।
इसे लेकर थाने में पदस्थ प्रधान आरक्षक हरेंद्र पालिया द्वारा उसके भाई सूरज पर दर्ज मामले में धारा न बढ़ाने और पकड़े जाने के बाद आरोपित की मारपीट न करने के एवज में 40 हजार रुपये की मांग की जा रही है। पूरन ने यह भी जानकारी दी थी कि इस मामले में उसका एक अन्य भाई पहले ही पकड़ा जा चुका है और जेल में है।
सादा कपड़ों में पहुंचे टीम के सदस्य : इस शिकायत पर गुरुवार को सादे कपड़े में लोकायुक्त टीम के सदस्य दुरसड़ा पहुंचे और थाने के आसपास ही मौजूद रहे। टीम का इशारा पाते ही पूरन पटवा थाने के प्रधान आरक्षक हरेंद्र पालिया को 20 हजार रुपये देना पहुंचा। प्रधान आरक्षक ने पूरन से रुपये लेकर बाकी के 20 हजार रुपये भी जल्दी देने की उससे बात कही। इसी बीच लोकायुक्त टीम वहां आ धमकी और रुपयों सहित हरेंद्र पालिया को ट्रेप कर लिया।
इस संबंध में लोकायुक्त डीएसपी विनोद सिंह ने बताया कि ट्रेप किए प्रधान आरक्षक द्वारा जमीन संबंधी मामले में वारंटी को पकड़ने के बाद मारपीट न करने और मामले में धारा न बढ़ाने के बदले 40 हजार की रिश्वत मांगी गई थी, जिसमें 20 हजार रुपये आरोपित के भाई से रिश्वत के रूप में लेते हुए प्रधान आरक्षक को पकड़ा है।